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जोधपुर

रासायनिक उपचार के अभाव में धूल फांक रही 17 बेशकीमती वन्यजीव ट्राफियां

उचित रखरखाव के लिए जेडएसआइ मांगने के बावजूद नहीं दे रहा वन विभाग

जोधपुरJul 01, 2020 / 11:51 pm

Nandkishor Sharma

रासायनिक उपचार के अभाव में धूल फांक रही 17 बेशकीमती वन्यजीव ट्राफियां

रासायनिक उपचार के अभाव में धूल फांक रही 17 बेशकीमती वन्यजीव ट्राफियां

जोधपुर. वनविभाग के वन्यजीव प्रभाग स्टोर रूम में बेशकीमती 17 वन्यजीवों की ट्राफियां दशकों से रासायनिक उपचार के अभाव में जर्जर होती जा रही है। लुप्त वन्यजीव प्रजातियों की ट्राफियों को भारतीय प्राणी सर्वेक्षण (जेडएसआइ) के मरु प्रादेशिक केन्द्र ने वन्यजीव ट्राफियों के उचित संरक्षण एवं रखरखाव के लिए उन्हें सौंपने को पत्र भी लिखा था। जेडएसआइ के वैज्ञानिक डॉ. संजीव कुमार की ओर से लिखे पत्र में कहा गया था कि दशकों से उपवन संरक्षक कार्यालय परिसर में रखी वन्यजीव ट्राफियों को रखने के लिए उनके पास विशाल परिसर के साथ रासयनिक उपचार के लिए विशेषज्ञ टेक्सीडर्मिस्ट की व्यवस्था भी है। पत्र में ये भी कहा गया कि जर्जर वन्यजीव ट्राफियों का समय पर रासायनिक उपचार नहीं किया गया तो ट्राफियां दीमक आदि लगने से जर्जर होकर खत्म हो जाएगी। लेकिन विभाग की ओर से कोई जवाब तक नहीं दिया गया है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में वन्यजीव ट्राफियों की कीमत करोड़ों में मानी जाती है।
किसकी कितनी ट्राफियां

बब्बर शेर-3 ट्राफियां

पैंथर—–3 ट्राफियां

भालू —-1 ट्राफी

मगरमच्छ–1 ट्राफी

घडिय़ाल –1 ट्राफी

लोमड़ी –1 ट्राफी

नेवले –3 ट्राफियां

शेर के शावक – 2
तोता—-1 ट्राफी

अस्सी के दशक तक नियमित रासायनिक लेप

चार साल पहले उम्मेद उद्यान में संचालित जोधपुर के पुराने जंतुआलय परिसर के कार्यालय में रखी वन्यजीव ट्राफियों को लंबे अर्से तक सुरक्षित रखने के लिए अस्सी के दशक में मैसूर की एक निजी कंपनी को रासायनिक लेप के लिए बुलाया जाता था। उसके बाद विभाग के पास बजट अभाव में ट्राफियों का रासायनिक लेप नहीं हो पाया। नतीजन सभी वन्यजीव ट्राफियों को स्टोर कक्ष में रख दिया गया। उसके बाद किसी भी अधिकारी ने सुध तक नहीं तक ली है।
पांच साल पहले भेजा था प्रस्ताव

वनविभाग के पास वन्यजीव ट्राफियां प्रदर्शित करने के लिए लंबे अर्से से एक उचित भवन का अभाव होने के कारण ं दशकों से धूल फांक रही 17 वन्यजीवों की ट्राफियों को माचिया जैविक उद्यान के नेचर इन्टरप्रीटिशन सेन्टर में शामिल करने का प्रस्ताव भेजा गया था। माचिया जैविक उद्यान बनने के बाद आज तक किसी भी अधिकारी ने बेशकीमती ट्राफियों की सार संभाल तक करना उचित नहीं समझा है। वन्यजीव ट्राफियों को आकर्षक तरीके से प्रदर्शित करने के लिए आरएसआरडीसी को 50 लाख का प्रस्ताव बनाकर भी भेजा गया लेकिन यह प्रस्ताव भी फाइलों में ही दफन हो गया।
मुझे इसकी जानकारी नहीं

वन्यजीव ट्राफियों के रखरखाव और उन्हें प्रदर्शित करने के बारे में मुझे जानकारी नहीं है। वन्यजीव ट्राफियों को माचिया जैविक उद्यान में प्रदशित करने की योजना की फाइल भी सेवानिवृत्त हो चुके कर्मचारी के ध्यान में है। उनसे पता करने के बाद ही कुछ कह सकूंगा।
महेश चौधरी, उपवन संरक्षक वन्यजीव जोधपुर

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