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जोधपुर

चिकित्सकों की हड़ताल के आगे बेबस हुई जोधपुर की जनता, अब तक 20 मरीजों की हुई मौत

शहर के मेडिकल कॉलेज अस्पतालों में रेजीडेंट चिकित्सकों के हड़ताल पर जाने से यहां भी चिकित्सा व्यवस्था धीमी पड़ गई है।

जोधपुरDec 20, 2017 / 03:08 pm

Abhishek Bissa

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जोधपुर . स्वास्थ्य विभाग के सेवारत चिकित्सकों और डॉ. एसएन मेडिकल कॉलेज के रेजीडेंट चिकित्सकों की हड़ताल के बाद चिकित्सा व्यवस्थाएं लड़खड़ा गई हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में जहां चिकित्सकों की हड़ताल के कारण स्वास्थ्य केन्द्रों पर व्यवस्थाएं चरमरा गई है, तो वहीं शहर के मेडिकल कॉलेज अस्पतालों में रेजीडेंट चिकित्सकों के हड़ताल पर जाने से यहां भी चिकित्सा व्यवस्था धीमी पड़ गई है।
अस्पतालों के आउटडोर में मंगलवार को मरीजों की लंबी लाइनें लगी रही। दूसरी ओर जोधपुर में नागौर, जालोर, जैसलमेर , बाड़मेर व पाली जिलों के मरीज भी इलाज कराने बड़ी संख्या में पहुंच रहे हैं। अस्पताल में तमाम तरह की व्यवस्थाएं बनाने में प्रशासनिक अधिकारियों को पसीने छूट रहे हैं। गांवों के अस्पतालों में सेवारत चिकित्सकों की हड़ताल के कारण मरीजों को शहर की ओर कूच करना पड़ रहा है। हालांकि कलक्टर के आदेशानुसार सरकारी पर्ची पर निजी अस्पतालों को फ्री परामर्श की सलाह है, इसके बावजूद कई लोग शुल्क देकर निजी अस्पतालों में इलाज करवा रहे हैं। हड़ताल के दौरान एमडीएम अस्पताल में १७, एमजीएच में २ और उम्मेद में एक मरीज की मौत हुईं हैं। गत दो दिनों में कुल २६ मरीजों के मौत होने की सूचना है। जोधपुर संभाग में १२७५ सेवारत चिकित्सक हैं, इनमें से ८९८ चिकित्सक हड़ताल पर हैं।
नेता हुए भूमिगत


सेवारत चिकित्सक नेता डॉ. बलवंत मंडा, डॉ. आरके विश्नोई, रेजीडेंट डॉक्टर अध्यक्ष डॉ. हरेन्द्र भाकर सहित कई हड़ताली नेता भूमिगत हो गए हैं। पुलिस लगातार इनके यहां संपर्क साध रही है। राजस्थान मेडिकल काउंसिल ऑफ टीचर एसोसिएशन २०१७-१८ जोधपुर ब्रांच ने भी चिकित्सकों की मांगों का समर्थन जताया है।
मरीज निजी अस्पतालों की ओर

एमडीएम अस्पताल में दूसरे दिन भी रहा हड़ताल का असर

मथुरादास माथुर अस्पताल में रेजीडेंट्स की हड़ताल दूसरे दिन मंगलवार को भी जारी रही। इसके चलते अस्पताल में इलाज करवाने आए कई मरीजों को निजी अस्पतालों में जाना पड़ा। अस्पताल के ट्रोमा सेंटर वार्ड में शाम को पहुंचे एक मरीज को भी बासनी स्थित निजी अस्पताल भेजा गया। इसके लिए निजी अस्पताल की एंबुलेंस भी ट्रोमा सेंटर तक मरीज को लेने के लिए आई। अस्पताल में कई मरीजों को वार्ड से छुट्टी भी दे दी गई। वहीं सुबह के समय अस्पताल में इलाज करवाने आए कई मरीजों के परिजन समय पर इलाज नहीं मिलने से बेचैन नजर आए। उनका कहना था कि अस्पताल में चल रही हड़ताल के चलते उन्हें इलाज करवाने में देरी हो रही है।
परिजनों ने की मशक्कत

अस्पताल में इलाज करवाने आए कई मरीजों को व्हील चेयर के अभाव में परेशानियों का सामना करना पड़ा। व्हील चेयर समय पर नहीं मिलने से मरीज के परिजन स्वयं मुश्किलों का सामना करते हुए इलाज के लिए मरीज को चिकित्सकों के पास ले गए।
इंदिरा नगर को वार्ड में शामिल करने की मांग

बासनी सरस पशु आहार स्थित इंदिरानगर के वासियों ने प्रशासन से कॉलोनी को निगम के वार्ड २५ में शामिल करने की मांग की है। लोगों का कहना है कि कॉलोनी का आधा हिस्सा नगर निगम व आधा पंचायत क्षेत्र में आता है। जबकि कॉलोनी के पास से गुजरने वाली रेलवे लाइन की तरफ बसी कॉलोनियां निगम के वार्ड में आती हैं, जिसके चलते कॉलोनी में विकास कार्य नहीं हो रहे हैं। इंदिरा नगर विकास समिति के दौलाराम चौधरी और जेठमल गुर्जर ने बताया कि कॉलोनी में रहने वाले कई लोगों के वोटर कार्ड भी निगम क्षेत्राधिकार में आते हैं। ऐसे में इंदिरा नगर को निगम में शामिल किया जाए तो यहां रहने वाले ढाई सौ घरों के परिवारों के लिए विकास की राह खुले। अंतिम छोर पर बसी होने से निगम भी अपने क्षेत्राधिकार से बाहर बता रहा है, जिसके चलते कॉलोनी के लोगों को मूलभूत सुविधाओं से वंचित रहना पड़ रहा है। क्षेत्रवासियों ने जिला कलक्टर से कॉलोनी का परिसीमन कर वार्ड में शामिल करने की मांग की है।

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