script27 साल बाद थार में दिखा दुर्लभ पक्षी ग्रे हीपोकोलिस | 27 years later, rare bird Gray Hypocolius found in the Thar | Patrika News
जोधपुर

27 साल बाद थार में दिखा दुर्लभ पक्षी ग्रे हीपोकोलिस

फलोदी (जोधपुर). रेंज रेस्ट्रिक्टेड प्रजातियों में शुमार दुर्लभ ग्रे हीपोकोलिस चिडिय़ा ने 27 साल बाद थार में दस्तक दी है। दरअसल पक्षी विशेषज्ञों की नजर में दुर्लभ चिडिय़ा के रूप देखी जाने वाली ग्रे हीपोकोलिस हाल ही पोकरण क्षेत्र में देखा गई है।

जोधपुरMar 08, 2019 / 12:23 pm

pawan pareek

27 years later, rare bird Gray Hypocolius found in the Thar

27 साल बाद थार में दिखा दुर्लभ पक्षी ग्रे हीपोकोलिस

फलोदी (जोधपुर). रेंज रेस्ट्रिक्टेड प्रजातियों में शुमार दुर्लभ ग्रे हीपोकोलिस चिडिय़ा ने 27 साल बाद थार में दस्तक दी है। दरअसल पक्षी विशेषज्ञों की नजर में दुर्लभ चिडिय़ा के रूप देखी जाने वाली ग्रे हीपोकोलिस हाल ही पोकरण क्षेत्र में देखा गई है।
गौरतलब है कि हीपोकोलिस को 27 साल पूर्व एक विदेशी पक्षी प्रेमी ने सम में देखे जाने संबंधी सूचनाएं रिपोर्ट की थी। यहां इस चिडिय़ा का देखा जाना पक्षियों प्रेमियों के लिए काफी रोचक बात है। यह चिडिय़ा रेगिस्तान वाले कई देशों के इलाकों से यहां प्रवास पर आती है।
पीलू के पेड़ पर दिखती है हीपोकोलिस

वन्यजीव विशेषज्ञ डॉ. सुमित डूकिया ने बताया कि ईआरडीएस फाउण्डेशन के सर्वे को लेकर डॉ. दिवेश कुमार सैनी व पर्यवाण प्रेमी राधेश्याम पेमाणी ने सोमवार को क्षेत्र के पोकरण-रामदेवरा रोड़ पर दुर्लभ ग्रे हीपोकालिस चिडिय़ा देखी। इस दौरान पांच पक्षियों का झुण्ड था, लेकिन पीलू के पेड़ पर बैठे एक पक्षी का ही फोटो खींचा जा सका। ये पक्षी पीलू के पेड़ ज्यादा देखे जाते है।
उन्होंने बताया कि फाउण्डेशन द्वारा किए जा रहे सर्वे के तहत अब कई दुर्लभ पक्षियों की रिपोर्टिंग की गई है। इसमें हॉर्नड ग्रेब, रेड नेक्ड फेलरोप, यलो आइड पिजन आदि मिल है। डॉ. डूकिया का कहना है कि कच्छ में हीपोकोलिस को देखने के लिए काफी पहुंचते है। ऐसे में यहां पक्षी पर्यटन की संभावनाएं बनने लगी है तथा ये पक्षी अगले साल भी देखे जाने की संभावना है।
27 साल पहले हुई थी रिपोर्टिंग

ई-बर्ड के डेटाबेस के अनुसार 28 जनवरी 1992 को जैसलमेर के सम क्षेत्र में हीपोकोलिस देखे जाने की रिपोर्टिंग हुई थी। यह रिपोर्टिंग एक विदेशी पक्षी प्रेमी जॉन स्मिथ ने की थी। उसके बाद पश्चिमी राजस्थान में हीपोकोलिस की साइटिंग नहीं हुई थी।
रेगिस्तान वाले इलाकों से आते है यहां

ग्रे हीपोकोलिस एक प्रकार की चिडिय़ा है तथा वयस्क हीपोकोलिस 19-21 सेमी तक लंबी होती है। यह स्लेटी या भूरे रंग के होते है तथा नर पक्षी के आंखों के चारों ओर काला त्रिभुजाकार घेरा होता है। ये पक्षी बेर, छोटे फल व कीड़े खाते हैं। हीपोकोलिस ईरान, इराक, अफगानिस्तान आदि इलाकों प्रजनन करते है तथा कच्छ में नियमित रूप से शीतकालीन प्रवास आते हैं।

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