वन्यजीव विशेषज्ञ डॉ. सुमित डूकिया ने बताया कि ईआरडीएस फाउण्डेशन के सर्वे को लेकर डॉ. दिवेश कुमार सैनी व पर्यवाण प्रेमी राधेश्याम पेमाणी ने सोमवार को क्षेत्र के पोकरण-रामदेवरा रोड़ पर दुर्लभ ग्रे हीपोकालिस चिडिय़ा देखी। इस दौरान पांच पक्षियों का झुण्ड था, लेकिन पीलू के पेड़ पर बैठे एक पक्षी का ही फोटो खींचा जा सका। ये पक्षी पीलू के पेड़ ज्यादा देखे जाते है।
ई-बर्ड के डेटाबेस के अनुसार 28 जनवरी 1992 को जैसलमेर के सम क्षेत्र में हीपोकोलिस देखे जाने की रिपोर्टिंग हुई थी। यह रिपोर्टिंग एक विदेशी पक्षी प्रेमी जॉन स्मिथ ने की थी। उसके बाद पश्चिमी राजस्थान में हीपोकोलिस की साइटिंग नहीं हुई थी।
ग्रे हीपोकोलिस एक प्रकार की चिडिय़ा है तथा वयस्क हीपोकोलिस 19-21 सेमी तक लंबी होती है। यह स्लेटी या भूरे रंग के होते है तथा नर पक्षी के आंखों के चारों ओर काला त्रिभुजाकार घेरा होता है। ये पक्षी बेर, छोटे फल व कीड़े खाते हैं। हीपोकोलिस ईरान, इराक, अफगानिस्तान आदि इलाकों प्रजनन करते है तथा कच्छ में नियमित रूप से शीतकालीन प्रवास आते हैं।