– एनजीटी ने जताई थी नाराजगी एनजीटी की ओर से नियुक्त कोर्ट कमिश्नर ने अक्टूबर 2018 में जेपीएनटी के कॉमन एफ्लूएंट ट्रीटमेंट प्लांट (सीइटीपी ) का अवलोकन किया था, जहां उनको कई खामियां मिली। बाद में नवम्बर 2018 में हुई सुनवाई के दौरान इकाइयों से निकलने वाले अपशिष्ट से जोजरी नदी व आसपास के क्षेत्र में हो रहे प्रदूषण को रोकने में विफल होने पर एनजीटी ने नाराजगी जताई थी। सुनवाई के दौरान एनजीटी ने जेपीएनटी को सीइटीपी से उपचारित पानी के मानक सुधारने,इकाइयों से आ रहे रसायनयुक्त पानी को ट्रीट करने के लिए आरओ प्लांट स्थापित करने, पानी का पुन:उपयोग करने के लिए प्लान मांगा था।
— नहीं हो रही पानी निकासी की पालना एनजीटी के आदेशानुसार जेपीएनटी उपचारित पानी की निकासी का प्रबंध तक नहीं कर पाया है। एनजीटी ने मानक अनुसार उपचारित पानी का केवल 25 प्रतिशत जोजरी नदी में डालने व शेष 75 प्रतिशत पानी का सिंचाई, उद्योगों के लिए या सीईटीपी के लिए पुन उपयोग के निर्देश दिए थे।
—- जीजी ने सीएम को पत्र लिख जांच की मांग की सूरसागर विधायक सूर्यकांता व्यास ने औद्योगिक क्षेत्रों में नियम विरूद्ध अवैध चल रही टेक्सटाइल इकाइयों से निकलने वाले अनुपाचारित अपशिष्ट व पानी के लिए जोधपुर प्रदूषण निवारण ट्रस्ट को जिम्मेदार बताया। व्यास ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को पत्र लिख बताया कि ट्रस्ट के संचालकों की ओर से इकाइयों के रसायनयुक्त रंगीन पानी को उपचारित किए बिना ही ट्रस्ट की पाइप लाइन के स्थान पर रीको के लाइन और नाले में डाला जा रहा है। इससे जोजरी व आसपास के क्षेत्रों में प्रदूषण फैल रहा है। जीजी ने मुख्यमंत्री से इस मामले में उच्च स्तरीय जांच की मांग की है।
— अब बन रही डीपीआर प्लांट की डीपीआर बनाने के लिए इंजीनियरिंग कॉलेज के विशेषज्ञ प्रोफेसर की सेवा ले रहे है, जिसका भुगतान भी उनको कर दिया है। डीपीआर बनने के बाद ही आगे की प्रक्रिया की जाएगी।
जसराज बोथरा, मैनेजिंग ट्रस्टी जेपीनएनटी