भूरसिंह नगर आसरलाई में इस मंडी के लिए चालीस बीघा जमीन आंवटित हुई थी। जमीन आवंटन के बाद राजमार्ग व मेगा हाइवे से मंडी तक एक किमी डामर सड़क चौतीस लाख में बनाई गई थी। राजस्थान में सरकार परिवर्तन होने के बाद इस मंडी का काम भी पिछले तीन साल से ठप पड़ा है।
जहां पर मंडी बनी हुई है,उसके आसपास सैकड़ों नलकूप से खेती होती हैं। इस गौण मंडी में इस बार मूंगफली खरीद केन्द्र चला था। मंडी सिर्फ खरीद केन्द्र तक सीमित बनकर रह गई ।मंडी के अंदर बबूल की झाडि़यां उगी हुई हैं। एक कमरा बना हुआ हैं। गौण मंडी के अभाव में देचू तहसील के किसानों को फलोदी व जोधपुर मजबूरन जाना पड़ता है।
देचू तहसील के गांवों में गेहूं,जीरा, सरसाें, मूंगफली की अधिक पैदावार होती है। मंडी के अभाव में यहां के किसानों को फसल का पूरा दाम नहीं मिलता है। देचू की गौण मंडी़ बदहाली के आंसू बहा रही हैं। सरकार के जनप्रतिनिधि व मंडी विभाग के जिम्मेदार इस तरफ ध्यान नहीं देने से किसानों में आक्रोश है। मंडी सिर्फ दिखावे के लिए है, फायदा किसी किसान को नहीं हो रहा हैं।
इनका कहना देचू में मंड़ी के अभाव में किसानों को भारी परेशानी हो रही है,जिसको लेकर मैं मंड़ी विभाग को पत्र लिखूंगा जिससे समस्या का समाधान हो । सिमरथाराम मेघवाल, प्रधान देचू
देचू गौड़ मंडी के लिए बजट का अभाव है। दस करोड़ मंडी के लिए बजट की आवश्यता होती है, हमने एमआई प्लान के तहत दस करोड़ ऋण के लिए प्रस्ताव भेजा है। -महेन्द्र कुमार, अधिशासी अधिकारी मंडी जोधपुर
देचू में मंडी के लिए सरकार जानबूझकर बजट नहीं दे रही है, राजनीतिक भेदभाव हमारे किसानों के साथ कर रही है, जिससे काम ठप है। -कानसिंह, अध्यक्ष गोशाला देचू