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जोधपुर

NLU राजस्थान को छोड़कर देश के समस्त 18 राज्य अपने छात्रों के हितेषी, 21 साल बाद भी प्रदेश के छात्रों को नहीं दिया आरक्षण

– टॉप रहने के बावजूद दूसरे राज्यों में प्रवेश लेने को विवश हमारे छात्र-छात्राएं- कमेटी बनाकर ढाई साल से मामला अटका रखा है- महाराष्ट्र में 3 एनएलयू, तीनों में ही मराठियों के लिए आरक्षण

जोधपुरSep 30, 2020 / 10:53 am

जय कुमार भाटी

NLU राजस्थान को छोड़कर देश के समस्त 18 राज्य अपने छात्रों के हितेषी, 21 साल बाद भी प्रदेश के छात्रों को नहीं दिया आरक्षण

NLU राजस्थान को छोड़कर देश के समस्त 18 राज्य अपने छात्रों के हितेषी, 21 साल बाद भी प्रदेश के छात्रों को नहीं दिया आरक्षण

गजेन्द्र सिंह दहिया/जोधपुर. देश में 22 राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय (एनएलयू) है, जिसमें से केवल एनएलयू जोधपुर को छोडक़र सभी 21 एनएलयू ने राज्यों के छात्र-छात्राओं को आरक्षण दे रखा है। महाराष्ट्र में मुंबई, औरंगाबाद और नागपुर में तीन एनएलयू है और तीनों में ही मराठी मूल के विद्यार्थियों के लिए सीटें आरक्षित हैं। मध्यप्रदेश में भोपाल और जबलपुर एनएलयू है। दोनों में ही प्रदेश के विद्यार्थियों की सीटें आरक्षित है। राजस्थान में केवल एक एलएलयू है। वह भी आरक्षण नहीं दे रहा है।
ऐसा नहीं है कि राजस्थान सरकार ने हमारे छात्र-छात्राओं की हित की नहीं सोची। तत्कालीन वसुंधरा सरकार में शिक्षा मंत्री किरण माहेश्वरी ने मार्च 2018 में विधानसभा में एक विधेयक पास करके एनएलयू जोधपुर में 25 प्रतिशत कोटा आरक्षित कर दिया। सरकार के विधेयक को एनएलयू की एग्जीक्यूटिव काउंसिल (सिण्डीकेट) में केवल पास करवाना था लेकिन एनएलयू जोधपुर ने एक कमेटी बनाकर मामले को ठण्डे बस्ते में डाल दिया। अब एक सप्ताह बाद जब एनएलयू की प्रवेश परीक्षा क्लैट-2020 के जरिए प्रवेश होंगे जो एक बार फिर से अधिक अंक हासिल करने के बावजूद राजस्थान के छात्र छात्राओं को बाहर की ओर रुख करना पड़ेगा।
21 साल से हमें ही टरका रहा हमारा एनएलयू
जोधपुर एनएलयू की स्थापना 1999 में की गई थी। इसमें पांच वर्षीय विधि पाठ्यक्रम बीए एलएलबी और बीएससी एलएलबी के अलावा एलएलएम, मास्टर ऑफ बिजनेस लॉ, एमबीए और पीएचडी भी करवाई जाती है। राजस्थान सरकार ने आरक्षण देने में 19 साल लगा दिए, जबकि एनएलयू भोपाल, एनएलयू रायपुर और एनएलयू गांधीनगर जैसे लॉ स्कूलों में तो स्थापना के साथ ही संबंधित राज्यों के छात्रों को आरक्षण दे दिया गया था।
सीटें निर्धारण करने के बहाने लगाए ढाई साल
एनएलयू जोधपुर ने राजस्थान विधानसभा में मार्च 2018 में आरक्षण विधेयक पास होने के बाद सीटें निर्धारित करने का बहाना करके दिल्ली हाईकोर्ट की पूर्व जज मंजू गोयल की अध्यक्षता में एक कमेटी गठित कर दी। कमेटी ने डेढ़ साल तक रिपोर्ट ही नहीं दी। अब जब रिपोर्ट दे दी तो एग्जीक्यूटिव काउंसिल की मीटिंग नहीं होने का तर्क देकर मामले को ठंडे बस्ते में डाल रखा है।
एनएलयू जोधपुर में केवल 3 आरक्षण
क्लैट कंसोर्टियम के अनुसार एनएलयू जोधपुर में सामान्य वर्ग की 80, एससी की 16 और एसटी की 8 सीटें है। अन्य पिछड़ा वर्ग, एमबीसी, ईडब्ल्यूएस के लिए कोई वर्गीकरण नहीं दिया गया है, जबकि अन्य राज्यों के एनएलयू ने महिलाओं, आदिवासियों, एनआरई, जम्मू कश्मीर निवासियों के आरक्षण का भी खुलासा कर रखा है।
‘एग्जीक्यूटिव काउंसिल की बैठक नहीं होने के कारण इस साल भी क्लैट में आरक्षण नहीं मिल सकेगा।’
सोहनलाल शर्मा, रजिस्ट्रार, राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय जोधपुर

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