जोधपुर एनएलयू की स्थापना 1999 में की गई थी। इसमें पांच वर्षीय विधि पाठ्यक्रम बीए एलएलबी और बीएससी एलएलबी के अलावा एलएलएम, मास्टर ऑफ बिजनेस लॉ, एमबीए और पीएचडी भी करवाई जाती है। राजस्थान सरकार ने आरक्षण देने में 19 साल लगा दिए, जबकि एनएलयू भोपाल, एनएलयू रायपुर और एनएलयू गांधीनगर जैसे लॉ स्कूलों में तो स्थापना के साथ ही संबंधित राज्यों के छात्रों को आरक्षण दे दिया गया था।
एनएलयू जोधपुर ने राजस्थान विधानसभा में मार्च 2018 में आरक्षण विधेयक पास होने के बाद सीटें निर्धारित करने का बहाना करके दिल्ली हाईकोर्ट की पूर्व जज मंजू गोयल की अध्यक्षता में एक कमेटी गठित कर दी। कमेटी ने डेढ़ साल तक रिपोर्ट ही नहीं दी। अब जब रिपोर्ट दे दी तो एग्जीक्यूटिव काउंसिल की मीटिंग नहीं होने का तर्क देकर मामले को ठंडे बस्ते में डाल रखा है।
क्लैट कंसोर्टियम के अनुसार एनएलयू जोधपुर में सामान्य वर्ग की 80, एससी की 16 और एसटी की 8 सीटें है। अन्य पिछड़ा वर्ग, एमबीसी, ईडब्ल्यूएस के लिए कोई वर्गीकरण नहीं दिया गया है, जबकि अन्य राज्यों के एनएलयू ने महिलाओं, आदिवासियों, एनआरई, जम्मू कश्मीर निवासियों के आरक्षण का भी खुलासा कर रखा है।
सोहनलाल शर्मा, रजिस्ट्रार, राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय जोधपुर