हेपेटाइटिस लीवर से जुड़ी एक बीमारी है। इसमें लीवर की कोशिकाएं सूज जाती है। मामूली संक्रमण तो अपने आप ठीक हो जाता है, लेकिन लक्षण दिखाई देने के बाद भी इलाज नहीं लेना इसे एक्यूट हेपेटाइटिस में बदल सकता है। चिकित्सकों के अनुसार वैज्ञानिकों ने हेपेटाइटिस के लिए जिम्मेदार ए, बी, सी, डी और ई नामक पांच वायरसों की खोज की है। इनमें से हेपेटाइटिस बी वायरस संक्रमित रक्त, सीमन और दूसरे बॉडी फ्ल्यूड से संचरित होता है। वायरस जन्म के समय संक्रमित मां से बच्चे में संचरित हो सकता है या नवजात शिशु को परिवार के किसी सदस्य से मिल सकता है। मेडिकल प्रकियाओं के दौरान दूषित इंजेक्शन से भी फैल सकता है।
ये लक्षण आते हैं सामने कई लोगों में प्रारंभ में हेपेटाइटिस का कोई लक्षण दिखाई नहीं देता है। आमतौर पर इसके लक्षण 15 से 180 दिनों में दिखाई देते हैं। संक्रमण गंभीर होने पर बुखार, सिरदर्द, डायरिया, थकान, भूख न लगना, उल्टी होना, पेट दर्द, घबराहट, मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द, मल-मूत्र का रंग बदलना व वजन घटना आदि लक्षण दिखते हैं।
जोधपुर में नि:शुल्क उपचार
नेशनल वायरल हेपेटाइटिस नियंत्रण कार्यक्रम के तहत डॉ एसएन मेडिकल कॉलेज के अधीन केएन चेस्ट अस्पताल परिसर स्थित संक्रामक रोग संस्थान में मॉडल ट्रीटमेंट सेंटर हेपेटाइटिस बी एवं सी के मरीजों की नि:शुल्क जांच एवं नि:शुल्क उपचार कर रहा है। यहां पहुंचने और इलाज के बाद पूरी तरह ठीक होने वाले मरीजों की संख्या राज्य के अन्य संभागों के मुकाबले ज्यादा है। सितम्बर 2019 में स्थापित सेंटर के नोडल अधिकारी डॉ. आलोक मोहता के अनुसार हेपेटाइटिस सी का मरीज 12 सप्ताह दवाइयां लेने के बाद पूरी तरह ठीक हो जाता है।
नेशनल वायरल हेपेटाइटिस नियंत्रण कार्यक्रम के तहत डॉ एसएन मेडिकल कॉलेज के अधीन केएन चेस्ट अस्पताल परिसर स्थित संक्रामक रोग संस्थान में मॉडल ट्रीटमेंट सेंटर हेपेटाइटिस बी एवं सी के मरीजों की नि:शुल्क जांच एवं नि:शुल्क उपचार कर रहा है। यहां पहुंचने और इलाज के बाद पूरी तरह ठीक होने वाले मरीजों की संख्या राज्य के अन्य संभागों के मुकाबले ज्यादा है। सितम्बर 2019 में स्थापित सेंटर के नोडल अधिकारी डॉ. आलोक मोहता के अनुसार हेपेटाइटिस सी का मरीज 12 सप्ताह दवाइयां लेने के बाद पूरी तरह ठीक हो जाता है।