दोनों नेताओं ने पिछले चुनाव परिणाम, जातिगत समीकरण व अन्य आंकड़ों के आधार पर हर सीट पर संभावित उम्मीदवारों की दावेदारी की समीक्षा की। इसी दौरान भाजपा के आधे से ज्यादा वर्तमान विधायकों के खिलाफ संगठन की नाराजगी सामने आई। इसके बाद मारवाड़ के कई भाजपा विधायकों के टिकट कटने की संभावना जताई जा रही है। जिलाध्यक्षों की इस बैठक को पूरी तरह गोपनीय रखा गया। इस गोपनीय रायशुमारी में आई नाराजगी के बाद मुख्यमंत्री स्वयं दखल देंगी और इन जिलाध्यक्षों से जल्द ही मुलाकात करेंगी। इसकी सूचना बातचीत के दौरान सभी जिलाध्यक्षों को दे दी गई है। बैठक के बाद दोनों नेता देर शाम जयपुर रवाना हो गए।
मारवाड़ की 33 सीटों पर चर्चा के लिए यह बैठक बुलाई गई थी। मगर बाड़मेर जिलाध्यक्ष के न आने के कारण 27 सीटों पर ही चर्चा हो सकी। इस बैठक के दौरान शहर भाजपा जिलाध्यक्ष देवेन्द्र जोशी से सरदारपुरा, शहर व सूरसागर विधानसभा क्षेत्र, देहात जिलाध्यक्ष भोपालसिंह बड़ला से लूणी, बिलाड़ा, भोपालगढ़ व ओसियां, भाजपा के फलोदी जिलाध्यक्ष रेवंत सिंह राजपुरोहित से फलोदी, शेरगढ़ व लोहावट, जैसलमेर जिलाध्यक्ष जुगल व्यास से पोकरण व जैसलमेर, जालोर भाजपा जिलाध्यक्ष रविन्द्र सिंह बालावत से जालोर, भीनमाल, आहोर, सांचोर व रानीवाड़ा, पाली जिलाध्यक्ष करण सिंह नेतरा से पाली, जैतारण, सुमेरपुर, मारवाड़ जंक्शन, बाली, सोजत, सिरोही जिलाध्यक्ष लूंबाराम से सिरोही, पिंडवाड़ा व रेवदर विधानसभा सीट पर विस्तृत चर्चा की। इस बैठक में बाड़मेर जिलाध्यक्ष नहीं आए। इस कारण वहां की सात विधानसभा सीटों बाड़मेर, चौहटन, शिव, बायतू, गुडामालानी, सिवाना व पचपदरा विधानसभा सीटों पर चर्चा टल गई।