काजरी ने मरू समृद्धि किस्म के गूंदों पर प्रस्ताव बनाकर 4 साल पहले राज्य सरकार की स्टेट सीड्स सब कमेटी को भेजा था। स्टेट कमेटी ने इस वैरायटी को पास कर स्थाई मान्यता के लिए केंद्र को भेजा। जहां भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) और कृषि मंत्रालय की संयुक्त कमेटी ने इस वैरायटी को अनुमोदित करने से पहले इसके ग्रोथ और गुणवत्ता के स्टैंडर्ड मांगे। काजरी की ओर से मरू समृद्धि के सभी मानकों पर आधारित मापदंड बनाकर फिर से प्रस्ताव भेज दिया, उसके बाद भी इसे अब तक अटका रखा है। आईसीएआर और कृषि मंत्रालय से मान्यता न मिलने तक व्यापक स्तर पर किसानों को इसके पौधे नहीं दिए जा सकते हैं।
काजरी में बंपर उत्पादन, किसान रहेंगे वंचित
वहीं दूसरी और काजरी अपने स्तर पर ही यहां उद्यानिकी प्रभाग में प्रायोगिक तौर पर 200 प्लांट्स के गूंदों के ब्लॉक में 15-20 मरू समृद्धि के पौधे लगाए हुए हैं। पिछले साल कुछ किसान इसके पौधे लेकर भी गए। काजरी में कृषि वैज्ञानिक इस किस्म के एक एक पौधे पर औसतन 100 किलो उत्पादन ले रहे हैं। जबकि केंद्र की उदासीनता के कारण इस वैरायटी को केंद्रीय मान्यता नहीं मिल रही है। इसके कारण इस साल की सीजन में किसानों को गूंदों की मरू समृद्धि वैरायटी से वंचित रहना पड़ेगा।
मान्यता मिलने तक पौधे मल्टीप्लाई नहीं कर सकते
केंद्र से इस वैरायटी को मान्यता मिलने के बाद इसके पौधों को मल्टीप्लाई कर इसका उत्पादन बढ़ाया जा सकता है ताकि किसानों को इस किस्म के अधिकाधिक ग्राफ्टेड पौधे वितरित किए जाएं लेकिन केंद्र की कमेटी ने इसे पास नहीं किया है।
– डॉ. पी. आर. मेघवाल, प्रधान कृषि वैज्ञानिक, हॉर्टीकल्चर, काजरी।