हुआ यूं कि क्षेत्र के नाड़सर गांव निवासी गणपतराम मेघवाल को गत सोमवार को अपने किसी मित्र के एसबीआई बैंक खाते में 13000 रुपए जमा करवाने थे। इसके लिए उन्होंने अपनी दुकान में काम कर रहे सुमेर को पैसे देकर एसबीआई बैंक की भोपालगढ़ शाखा में भेजा। वहां पहुंचने पर ग्राहकों की भीड़ क ेचलते सुमेर करीब 30 मिनट तक कैशियर के सामने कतार में खड़ा रहा और जब उसकी बारी आई, तो उसे यह कहकर काउंटर से हटा दिया कि 20 हजार से कम की राशि बैंक में जमा नहीं करवा सकते। इसके लिए आपको बैंक से जुड़े ई-मित्र कियोस्क पर जाना पड़ेगा। आखिरकर मजबूर होकर उसे बैंक से जुड़े ई-मित्र पर 100 रुपए अतिरिक्त देकर अपने दोस्त के खाते में १३ हजार रुपए पैसे जमा करवाने पड़े। लेकिन उसे अफसोस तो उस समय हुआ, जब एसबीआई के कस्टमर केयर के नम्बर पर कॉल करके इस नियम के बारे में पूछा, तो वहां से उसे बताया गया कि किसी भी बैंक शाखा में ऐसा कोई नियम या प्रावधान नहीं है।
पुलिस तक पहुंचा मामला
इस बात से आहत गणपतराम मेघवाल ने यह मामला सोशल मिडिया पर उठाते हुए बैंक कर्मचारियों की कार्यप्रणाली पर ही सवाल खड़े कर दिए। लेकिन यह बात एसबीआई बैंक के भोपालगढ़ शाखा प्रबंधक को इतनी नागवार लगी, कि उन्होंने गणपतराम को माफी मांगने के लिए कहा और ऐसा नहीं करने पर पुलिस थाने में शिकायत करवा दी। जिसके बाद गणपतराम ने भी बैंक मैनेजर के खिलाफ जातिसूचक शब्दों से अपमानित करने की रपट दे डाली।
ग्रामीण भी हैं परेशान
गणपतराम द्वारा यह मामला सोशल मिडिया पर उठाने के बाद तो बैंककर्मियों के व्यवहार को लेकर शिकायत करने वालेां की कतार सी लग गई। यहां तक कि हर कोई एसबीआई बैंक के कर्मचारियों के खिलाफ अपनी भड़ास निकालने लगा है और इनके लोगों के प्रति व्यवहार की निंदा की जा रही है। लोगों का कहना है कि यहां बैंक में कर्मचारियों की मनमर्जी से काम होता है और आमजन के प्रति इनका व्यवहार कत्तई उचित नही कहा जा सकता है। जिसके चलते ज्यादातर उपभोक्ता इनसे परेशान हो चुके हैं।