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जोधपुर

आसाराम को शेष प्राकृतिक जीवन तक उम्रकैद की सजा मिली थी, पैरोल के लिए कैसे की जाए इसकी गणना

आसाराम को पैरोल सम्बंधी याचिका की सुनवाई में सरकार का जवाब पेश
 

जोधपुरDec 06, 2018 / 10:50 am

Harshwardhan bhati

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जोधपुर. राजस्थान हाईकोर्ट जस्टिस संदीप मेहता की खंडपीठ में यौन दुराचार के आरोप में सजायाफ्ता कैदी आसाराम को पैरोल पर रिहा करने के मामले में दायर याचिका की सुनवाई के दौरान बुधवार को सरकार की ओर से जवाब पेश कर दिया गया। अब इस याचिका पर 14 दिसम्बर को सुनवाई होगी। यह याचिका आसाराम के भांजे रमेशभाई की ओर से दायर याचिका पर पिछली सुनवाई में सरकार को नोटिस जारी किया गया था। वरिष्ठ अधिवक्ता महेश बोडा की ओर से कहा गया कि प्रथम पैरोल आसाराम का अधिकार है क्योकि पांच साल से अधिक समय से वह जेल में है, जहां उसका आचरण भी संतोषजनक है। सरकार की ओर से जवाब में कहा गया कि सजा के प्रकरण के अलावा आसाराम तीन अन्य प्रकरण में वांछित है। उसे आजीवन कारावास शेष प्राकृतिक जीवन तक सजा दी गई है। प्रथम पैरोल उसका हक है लेकिन शेष प्राकृतिक जीवन तक सजा होने से गणना कैसे की जाए। महानिदेशक कारागार ने राज्य सरकार से विधिक राय मांगी थी, जिसमें भी पैरोल देने से इनकार कर दिया गया है।

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