एडीजे ने आरोपी कांस्टेबल के खिलाफ आपराधिक अवमानना की कार्यवाही शुरू करने के लिए मामला हाईकोर्ट में रेफर किया था।
न्यायाधीश संदीप मेहता तथा न्यायाधीश अभय चतुर्वेदी की खंडपीठ ने बुधवार को अवमानना के आरोपी कांस्टेबल को अधिनियम की विभिन्न धाराओं में आरोप सुनाए, लेकिन उसने आरोप मानने से इनकार कर दिया और ट्रायल की मांग की।
इस पर कोर्ट ने आरोपी को तीन सप्ताह का समय देते हुए अपने बचाव में यदि उचित हो तो धारा 17 के प्रावधानों के अनुरूप हलफनामा पेश करने की छूट दी है। अगली सुनवाई 17 सितंबर को होगी।
पीडि़त अधिवक्ता भीलवाड़ा निवासी एडवोकेट कमल ने भी पक्षकार बनने के लिए प्रार्थना पत्र पेश किया था, जिसमें बताया गया कि पिछले साल 8 अगस्त को वह एडीजे कोर्ट, गुलाबपुरा में एनडीपीएस एक्ट के तहत दर्ज मामले में एक कांस्टेबल रमेश चंद्र से जिरह कर रहा था।
इस दौरान कांस्टेबल ने अपना आपा खो दिया और उसे थप्पड़ मार दिया। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश ने प्रकरण की ऑर्डर शीट में उसी तारीख को घटना का उल्लेख करते हुए लिखा कि कांस्टेबल का कृत्य न केवल आपराधिक अवमानना के दायरे में आता है, बल्कि न्यायिक कार्यवाही में भी हस्तक्षेप करने का प्रयास है।
पीडि़त अधिवक्ता के अनुसार, थप्पड़ से उसके कान के अंदरुनी हिस्सों को चोट पहुंची और उसे तीन महीने तक इलाज करवाना पड़ा।