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जोधपुर

सावधान! आपके बैंक अकाउंट पर है साइबर अपराधियों की नजर, कोडेड मैसेज फॉरवर्ड करवाने के बाद खाते से उड़ाते हैं रुपए

अपराधी ‘यूपीआइ’ को हथियार बना बैंक खातों में लगा रहे सेंध
 

जोधपुरJan 09, 2019 / 11:09 am

Harshwardhan bhati

crime

सावधान! आपके बैंक अकाउंट पर है साइबर अपराधियों की नजर, कोडेड मैसेज फॉरवर्ड करवाने के बाद खाते से उड़ाते हैं रुपए

जितेंद्र सिंह राजपुरोहित/जोधपुर. सूचना और संचार क्रांति के दौर में नित नए-नए तरीके से आपराधिक गतिविधियों को अंजाम दिया जा रहा है। एटीएम कार्ड के पासवार्ड हैक कर बैंक खातों से रुपए निकालने, ऑनलाइन खरीदारी करने, आधार कार्ड नम्बर से बैंक खातों में सेंध लगाने के बाद साइबर अपराधियों की नजर अब यूपीआइ पर है। साइबर अपराधियों ने यूपीआइ को हथियार बना लोगों के बैंक खातों में सेंधमारी शुरू कर दी है। मेट्रो शहरों के बाद अब प्रदेश के बड़े शहरों में भी यूपीआइ फ्रॉड के मामले सामने आने लगे हैं। गौरतलब है कि यूपीआइ (यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस) सिस्टम पर मोबाइल बैंकिंग टिकी हुई है। भीम एप सहित लगभग तमाम बैंकों के एप इस सिस्टम पर काम करते हैं।
मोबाइल नम्बर करते हैं हैक
यूपीआइ भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (एनपीसीआइ) और भारतीय रिजर्व बैंक की ओर से शुरू किया गया ऑनलाइन भुगतान का तरीका है। मोबाइल प्लेटफार्म पर दो बैंक खातों के बीच तुरंत धनराशि ट्रांसफर कर यह अंतर बैंक लेनदेन को सुविधाजनक बनाता है। इसे आरबीआइ की ओर से नियंत्रित किया जाता है। यूपीआइ के किसी भी एप जैसे भीम एप, तेज एप, पे एप सहित अन्य बैंकों के पेमेंट एप में रजिस्टर्ड होने के लिए बैंक खाता से जुड़े मोबाइल नम्बर और डेबिट कार्ड की डिटेल्स का इस्तेमाल करना पड़ता है। तब बैंकिंग एप सीधे बैंक खाते से जुड़ जाता है। साइबर अपराधी मोबाइल नम्बर को हैक कर इस सिस्टम में सेंध लगा रहे हैं।
एेसे करते हैं फर्जीवाड़ा
साइबर अपराधी सबसे पहले खाताधारक के मोबाइल नम्बर हैक कर इसे बंद कर देते हैं। इसके बाद संबंधित मोबाइल खो जाने की प्राथमिकी दर्ज करवाते हैं और टेलीकॉम कंपनी के कर्मचारी से मिलीभगत कर इसी नम्बर का नया सिम जारी करवा लेते है़। जब तक ग्राहक को अपने बंद सिम के बारे में पता लगता है, तब तक उसके खाते से रुपए उड़ा लिए जाते हैं।
तरीका-ए-वारदात
खाताधारक के मोबाइल नम्बर को हैक करने के लिए अपराधी उस नम्बर पर एक कोडेड मैसेज भेजते हैं। मैसेज भेजने के बाद फर्जी बैंककर्मी बन खाताधारक को फोन करते है और एप को अपडेट करने या पुष्टि या फिर पुन: रजिस्टर कराने की बात कहते हुए भेजे हुए मैसेज को उसी नम्बर या लिंक पर फॉरवर्ड करने के लिए कहते है। एेसा करते ही नम्बर हैक हो जाता है। दरअसल यूपीआइ एप किसी भी मोबाइल में पड़ी रजिस्टर्ड सिम को वेरिफाई कर लेता है। इससे पता चल जाता है कि यह नम्बर किसी बैंक खाते से संबंद्ध है। खाते से जुड़े नम्बर को हैक किया जाता है। मोबाइल के साथ यह सिस्टम कम्यूटर पर भी काम करता है। इस तरह के साइबर अपराधियों को पकडऩा पुलिस के लिए चुनौती है।
२०१७ में साइबर क्राइम यूनिट स्वीकृत
साइबर अपराधियों से निपटने, उन्हें पकडऩे व अपराध पर रोकथाम के लिए राज्य सरकार ने बजट घोषणा में साइबर क्राइम यूनिट (सीसीयू) के गठन की घोषणा की थी। फिर १५ नवम्बर २०१७ को इसकी स्वीकृति दी थी। यूनिट का गठन नहीं होने से अब तक पीडि़त पक्ष को थानों के चक्कर काटने पड़ते हैं। यूनिट के गठन के बाद पुलिस स्टेशनों में दर्ज होने वाले मामलों की जांच में मदद मिल सकेगी।
पकडऩे में सक्षम है पुलिस
ठगी के एेसे मामले कई जगह हुए हैं। जोधपुर में अभी तक एेसा कोई मामला सामने नहीं आया है। यदि किसी के साथ एेसी ठगी हुई है तो वह पुलिस से शिकायत करे। पुलिस एेसे मामलों का खुलासा करने में सक्षम हैं।
– डॉ. अमनदीप सिंह कपूर, पुलिस उपायुक्त (पूर्व), जोधपुर

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