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जोधपुर

जोधपुर में खतरनाक स्वाइन फ्लू, 3 की मौत, 8 नए रोगी

जानिए जोधपुर में साल 2009 से अब तक स्वाइन फ्लू का भयावह मंजर
जोधपुर. स्वाइन फ्लू का एच-1 एन-1 वायरस एक बार फिर कहर बरपाने लगा है। एमडीएम अस्पताल में भर्ती स्वाइन फ्लू के तीन मरीजों ने शनिवार को दम तोड़ दिया।

जोधपुरDec 22, 2018 / 11:12 pm

Abhishek Bissa

Dangerous swine flu, 3 killed, 8 new patients in Jodhpur

जोधपुर में खतरनाक स्वाइन फ्लू, 3 की मौत, 8 नए रोगी

इसमें दो जोधपुर जिले व एक पाली निवासी हैं। वहीं 8 नए पॉजिटिव मरीज सामने आए हैं। जोधपुर में इस साल अब तक स्वाइन फ्लू से 7 मौतें हो चुकी हैं और 168 पॉजिटिव मरीज सामने आए हैं।
डॉ. एसएन मेडिकल से संबद्ध मथुरादास माथुर अस्पताल में भर्ती तिंवरी निवासी 69 वर्षीय भिखाराम, पाली जिले के सोबड़ाबास निवासी 18 वर्षीय नर्मदा की मौत हो गई। वहीं विश्व हिन्दू परिषद् से जुड़े सोजती गेट रावतों का बास निवासी 53 वर्षीय कैलाश वर्मा की स्वाइन फ्लू से मौत हो गई। इसके अलावा 8 नए पॉजिटिव मरीज सामने आए। पॉजिटिव आने वालों में 2 फलोदी, 1 पोकरण व 5 जोधपुर शहर निवासी हैं। दिसंबर माह के गत 22 दिनों में 39 मरीजों को स्वाइन फ्लू ने अपनी चपेट में ले लिया है।
एच-1 एन-1 का कहर
– दिसंबर माह के गत 22 दिनों में 39 मरीज आए सामने

जोधपुर. स्वाइन फ्लू ने एक बार फिर कहर बरपाना शुरू कर दिया है। शनिवार को मथुरादास माथुर अस्पताल में एक ही दिन में स्वाइन फ्लू से तीन मरीजों की मौत हो गई। वहीं आठ नए मरीज सामने आने से स्वास्थ्य विभाग की चिंता बढ़ गई है। सर्दी-जुकाम और बुखार जैसे मामूली लक्षण कब मौत की काली छाया बन जाएं कहा नहीं जा सकता। खासतौर से पिछले कई सालों से मारवाड़ में स्वाइन फ्लू खुलकर मौत का खेल, खेल रहा है। चिकित्सा विभाग डॉक्टरी भाषा में इसका कारण बता रहा है कि बीते सालों में इनफ्लुएंजा टाइप के वायरस ने अपने आप को बदल लिया है। ऐसे में दवाइयां कारगार साबित नहीं हो रही हैं।
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चुनौती : एच-1 एन-1 बदल रहा जेनेटिक शक्ल
सात साल बाद इनफ्लुएंजा टाइप के इस वायरस ने अपने आप को बदल लिया है। वर्ष 2009 से लेकर 2016 तक एच-एन-1 का रूप कैलिफोर्निया स्ट्रेन के नाम से जाना जाता था, जो अब अपने डीएनए में बदलाव कर नया बन गया है। इसको मिशिगन स्ट्रेन के नाम से जाना जा रहा है। वर्ष 2017 के अंतिम महीनों और अब वर्ष 2018 में भी मिशिगन स्ट्रेन लोगों को अपना शिकार बना रहा है। इस साल पहली बार ऐसा हुआ था कि स्वाइन फ्लू का वायरस एच-1एन-1 बरसात के मौसम में भी जिंदा रह गया। जुलाई से लेकर सितम्बर तक बरसात के मौसम में भी स्वाइन फ्लू ने लोगों को शिकार बनाया। वैज्ञानिकों के अनुसार म्यूटाजेनेसिस के जरिए वायरस के जीन में हल्का बदलाव आ गया, जिसने उसे बरसात में मरने से बचाया। इस बार का वायरस मिशिगन स्ट्रेन है जो 2009 के कैलिफोर्निया स्ट्रेन की तुलना में थोड़ा सा अलग है।
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8 नए स्वाइन फ्लू पॉजिटिव
स्वाइन फ्लू के नए रोगी में 2 फलोदी, 1 पोकरण व 5 जोधपुर शहर निवासी हैं। वहीं फलोदी निवासी 5 वर्षीय बच्चे, मसूरिया निवासी 7 वर्षीय बालिका, फलोदी निवासी 55 वर्षीय मरीज, पोकरण निवासी 26 वर्षीय युवती, पावटा ए रोड निवासी पुरुष, एयरफोर्स निवासी 38 वर्षीय विवाहिता, मेजर शैतानसिंह रोड बनाड़ निवासी 32 वर्षीय महिला और जालोरी गेट निवासी युवती को स्वाइन फ्लू पॉजिटिव बताया गया है। इस साल यूं चपेट में लेता रहा स्वाइन फ्लू
वर्ष 2018 के जनवरी माह से 22 दिसम्बर तक स्वाइन फ्लू से पॉजीटिव 168 मरीज सामने आ चुके हैं। बता दें कि जनवरी माह में 55 पॉजीटिव मरीज सामने आए। इसके बाद फरवरी में 26 मरीज पॉजीटिव मिले। इसके बाद अप्रेल से अगस्त तक एक भी पॉजीटिव मरीज नहीं आया। सितम्बर में 4, अक्टूबर में 10, नवम्बर में 12 और 22 दिसम्बर तक 39 मरीज स्वाइन फ्लू पॉजीटिव सामने आए। वहीं चिकित्सा विभाग को जनवरी माह को लेकर खासी चिन्ता है। जनवरी में स्वाइन फ्लू का खौफ अधिक बढ़ सकता है। इसको लेकर एसएन मेडिकल कॉलेज के अस्पतालों समेत चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग अलर्ट हो चुका हंै।
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जोधपुर में साल दर साल स्वाइन फ्लू के आंकड़े

साल – – पॉजिटिव – – इतनों की मौत
2009 – -684 – 802010 – -135 – 72011 – – 14 – 52012 – 177 – 232013 – 214 – 482014 – 2 – 22015 – 357 – 302016 – 44 – 12017 – 116 – 192018 (अब तक)-168-7 ———-क्या है स्वाइन फ्लू
स्वाइन फ्लू को इंफ्लूएंजा ए भी कहा जाता है। यह एच-1 एन-1 वायरस से होता है।
लक्षण

यह वायरस लोगों के श्वसन तंत्र को प्रभावित करता है। मौसमी फ्लू जैसे ही होते हैं, जिससे ये आसानी से पहचान में नहीं आते हैं। अचानक बुखार, ठंड, गले में खराश, सिरदर्द, खांसी और बदन दर्द जैसे लक्षण होते हैं।
फैलाव
यह बेहद संक्रामक बीमारी है। जैसे ही कोई इस वायरस से प्रभावित शख्स के संपर्क में आता है, यह उसे भी हो जाता है। प्रभावित व्यक्ति के छींकने या खांसने से भी पास खड़े शख्स को अपनी चपेट में ले सकता है।
बचाव
खांसते और छींकते वक्त मुंह व नाक को रूमाल या टिश्यू से ढंक लें। नाक, आंखें या मुंह को छूने के पहले और बाद हाथों को अच्छी तरह साबुन से धोएं। खांसी-बहती नाक, छींक व बुखार जैसे फ्लू के लक्षणों से प्रभावित लोगों से दूरी बनाएं। भरपूर नींद लें और डॉक्टर के निरंतर संपर्क में रहे। खूब पानी पीएं व पोषक भोजन लें।
इन्हें सबसे ज्यादा खतरा
सर्वाधिक खतरा 0 से 5 वर्ष के बच्चों, 65 या इससे अधिक उम्र के बुजुर्ग, गर्भवती महिला, हृदय रोगी व फेफड़े खराब वाले मरीज सहित अन्य गंभीर बीमारियों के रोगियों को हैं। इन्हें सावधान रहने की जरूरत है।
डरें नहीं
जोधपुर में जिन लोगों को स्वाइन फ्लू हो चुका है, उन्हें डरने की आवश्यकता नहीं है। अब उनकी बॉडी एच-1 एन-1 वायरस झेलनी की आदि हो चुकी है। अधिकतर लोगों में पुराने स्वाइन फ्लू से लडऩे के लिए एंटी बॉडी तैयार हो चुकी है।
बस, लक्षण दिखते ही तुरंत चिकित्सकीय परामर्श जरूर लें। डॉक्टर से पूछे बगैर दवा न लें।————-जरुरी…..प्रथम विश्व युद्ध में भी फैला स्वाइन फ्लू!: डॉ. पटवा जोधपुर होम्योपैथिक एसोसिएशन ने अब तक लगभग डेढ़ लाख से अधिक लोगों को स्वाइन फ्लू से बचाव की दवा दी है। जोधपुर होम्योपैथिक एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ. महेन्द्र पटवा ने दावा किया है कि स्वाइन फ्लू इससे पहले प्रथम विश्व यु़द्ध के समय भी दुनिया को दहशत में ले आया था। उस समय होम्योपैथी से उपचार संभव हुआ। डॉ.पटवा ने बताया कि 1881 में प्रथम विश्व युद्व के समय स्वाइन फ्लू या इंप्ल्यूएंजा फैला था तब होम्योपैथी के चिकित्सक डॉ. रार्बट ने उपचार किया। ये ***** और मुर्गी के फ ार्मों में काम करने वाले लोगों में यह फैलता है, इसे स्वाइन फ्लू या इन्फ लूएंजा कहते हैं। यह आर्थोमाइक्सेविरिडे फैमली का वायरस है। भारत में पहली बार 1918 में फैला था। होम्योपैथी की दवा की मात्र एक खुराक देने से स्वाइन फ्लू से बचा जा सकता है। इसमें काम आने वाली दवाएं इन्फ लूजियम-30, आसर्निक एलबम -30, इपिटोरियम -30, जैल्सिीनियम-30, रक्सटॉक -30 और साबाडिला -30 इत्यादि हंै।
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