– दिसंबर माह के गत 22 दिनों में 39 मरीज आए सामने जोधपुर. स्वाइन फ्लू ने एक बार फिर कहर बरपाना शुरू कर दिया है। शनिवार को मथुरादास माथुर अस्पताल में एक ही दिन में स्वाइन फ्लू से तीन मरीजों की मौत हो गई। वहीं आठ नए मरीज सामने आने से स्वास्थ्य विभाग की चिंता बढ़ गई है। सर्दी-जुकाम और बुखार जैसे मामूली लक्षण कब मौत की काली छाया बन जाएं कहा नहीं जा सकता। खासतौर से पिछले कई सालों से मारवाड़ में स्वाइन फ्लू खुलकर मौत का खेल, खेल रहा है। चिकित्सा विभाग डॉक्टरी भाषा में इसका कारण बता रहा है कि बीते सालों में इनफ्लुएंजा टाइप के वायरस ने अपने आप को बदल लिया है। ऐसे में दवाइयां कारगार साबित नहीं हो रही हैं।
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सात साल बाद इनफ्लुएंजा टाइप के इस वायरस ने अपने आप को बदल लिया है। वर्ष 2009 से लेकर 2016 तक एच-एन-1 का रूप कैलिफोर्निया स्ट्रेन के नाम से जाना जाता था, जो अब अपने डीएनए में बदलाव कर नया बन गया है। इसको मिशिगन स्ट्रेन के नाम से जाना जा रहा है। वर्ष 2017 के अंतिम महीनों और अब वर्ष 2018 में भी मिशिगन स्ट्रेन लोगों को अपना शिकार बना रहा है। इस साल पहली बार ऐसा हुआ था कि स्वाइन फ्लू का वायरस एच-1एन-1 बरसात के मौसम में भी जिंदा रह गया। जुलाई से लेकर सितम्बर तक बरसात के मौसम में भी स्वाइन फ्लू ने लोगों को शिकार बनाया। वैज्ञानिकों के अनुसार म्यूटाजेनेसिस के जरिए वायरस के जीन में हल्का बदलाव आ गया, जिसने उसे बरसात में मरने से बचाया। इस बार का वायरस मिशिगन स्ट्रेन है जो 2009 के कैलिफोर्निया स्ट्रेन की तुलना में थोड़ा सा अलग है।
स्वाइन फ्लू के नए रोगी में 2 फलोदी, 1 पोकरण व 5 जोधपुर शहर निवासी हैं। वहीं फलोदी निवासी 5 वर्षीय बच्चे, मसूरिया निवासी 7 वर्षीय बालिका, फलोदी निवासी 55 वर्षीय मरीज, पोकरण निवासी 26 वर्षीय युवती, पावटा ए रोड निवासी पुरुष, एयरफोर्स निवासी 38 वर्षीय विवाहिता, मेजर शैतानसिंह रोड बनाड़ निवासी 32 वर्षीय महिला और जालोरी गेट निवासी युवती को स्वाइन फ्लू पॉजिटिव बताया गया है। इस साल यूं चपेट में लेता रहा स्वाइन फ्लू
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2009 – -684 – 802010 – -135 – 72011 – – 14 – 52012 – 177 – 232013 – 214 – 482014 – 2 – 22015 – 357 – 302016 – 44 – 12017 – 116 – 192018 (अब तक)-168-7 ———-क्या है स्वाइन फ्लू
लक्षण यह वायरस लोगों के श्वसन तंत्र को प्रभावित करता है। मौसमी फ्लू जैसे ही होते हैं, जिससे ये आसानी से पहचान में नहीं आते हैं। अचानक बुखार, ठंड, गले में खराश, सिरदर्द, खांसी और बदन दर्द जैसे लक्षण होते हैं।
फैलाव
बचाव
इन्हें सबसे ज्यादा खतरा
डरें नहीं
बस, लक्षण दिखते ही तुरंत चिकित्सकीय परामर्श जरूर लें। डॉक्टर से पूछे बगैर दवा न लें।————-जरुरी…..प्रथम विश्व युद्ध में भी फैला स्वाइन फ्लू!: डॉ. पटवा जोधपुर होम्योपैथिक एसोसिएशन ने अब तक लगभग डेढ़ लाख से अधिक लोगों को स्वाइन फ्लू से बचाव की दवा दी है। जोधपुर होम्योपैथिक एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ. महेन्द्र पटवा ने दावा किया है कि स्वाइन फ्लू इससे पहले प्रथम विश्व यु़द्ध के समय भी दुनिया को दहशत में ले आया था। उस समय होम्योपैथी से उपचार संभव हुआ। डॉ.पटवा ने बताया कि 1881 में प्रथम विश्व युद्व के समय स्वाइन फ्लू या इंप्ल्यूएंजा फैला था तब होम्योपैथी के चिकित्सक डॉ. रार्बट ने उपचार किया। ये ***** और मुर्गी के फ ार्मों में काम करने वाले लोगों में यह फैलता है, इसे स्वाइन फ्लू या इन्फ लूएंजा कहते हैं। यह आर्थोमाइक्सेविरिडे फैमली का वायरस है। भारत में पहली बार 1918 में फैला था। होम्योपैथी की दवा की मात्र एक खुराक देने से स्वाइन फ्लू से बचा जा सकता है। इसमें काम आने वाली दवाएं इन्फ लूजियम-30, आसर्निक एलबम -30, इपिटोरियम -30, जैल्सिीनियम-30, रक्सटॉक -30 और साबाडिला -30 इत्यादि हंै।