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वहीं सीएमएचओ की ओर से भी स्वाइन फ्लू मरीज, संदिग्ध और प्रभावित क्षेत्र के लोगों के लिए पर्याप्त मात्रा में टेमी फ्लू के इंतजाम कर लिए। वहीं तस्वीर का दूसरा पहलू यह है कि स्वाइन फ्लू पॉजिटिव व संदिग्ध मरीजों के लिए तीनों प्रमुख अस्पतालों (एमडीएमएच, एमजीएच व उम्मेद अस्पताल) में आइसोलेशन वार्ड बने तो हैं, लेकिन इनमें से सिर्फ एमडीएमएच का आइसोलेशन वार्ड ही खुला है, शेष दोनों अस्पतालों के वार्डों पर ताले लगे हैं।
READ MORE: दुगुनी उम्र का दूल्हा, दुल्हन ने किया शादी से इंकार जोधपुर में स्वाइन फ्लू से एक गर्भवती की मौत के बाद अस्पतालों में मरीजों के परिजन व चिकित्साकर्मियों में स्वाइन फ्लू का भय साफ देखा जा सकता है, यही वजह है कि परिजन व चिकित्साकर्मी मास्क लगाने लगे हैं। वहीं स्वाइन फ्लू मॉनिटरिंग के लिए मेडिकल कॉलेज में नोडल ऑफिसर की जिम्मेदारी भी अभी तक किसी को नहीं सौंपी गई है, जो तीनों अस्पतालों पर नजर रखे। हालांकि स्वाइन फ्लू मरीजों के मामले देखते हुए एमडीएमएच के मेडिसिन विभाग से दो चिकित्सकों को नोडल ऑफिसर बनाया गया है।
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मेडिकल कॉलेज में जांच सुविधा मेडिकल कॉलेज माइक्रोबायोलॉजी विभाग में स्वाइन फ्लू जांच के लिए रीयल टाइम टीसीआर मशीन उपलब्ध है। विभागाध्यक्ष डॉ. पीके खत्री की मानें तो जरूरत पडऩे पर एक दिन में हजार सैम्पल की जांच भी की जा सकती है।
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जोधपुर में हर तीसरे साल लौट रहा स्वाइन फ्लू एमडीएमएच की फिजीशियन डॉ. इन्दु थानवी की मानें तो स्वाइन फ्लू वायरस एच1एन1 तीन से पांच साल में अपना रूप बदल (म्यूटेशन) लेता है। यही वजह है कि जोधपुर में वर्ष 2009-10 व 2013-14 में जोधपुर में स्वाइन फ्लू के ज्यादा मामले सामने आए थे।
READ MORE: अब राशन की दुकानों पर चस्पा होगी उपभोक्ताओं की सूची, बंद होगी गेहूं की हेराफेरी! एच1एन1 के लिए अनुकूल मौसम स्वाइन फ्लू वायरस के लिए 20 से 30 डिग्री के बीच का तापमान अनुकूल माना जाता है। फिलहाल जाती हुई सर्दी की वजह से जोधपुर में तापमान (25 से 30 डिग्री) वायरस के अनुकूल है। इसलिए वातावरण में पहले से मौजूद वायरस फिर से सक्रिय हो गया है। हालांकि डॉ इन्दु थानवी का कहना है कि अब आने वाले दिनों में तापमान बढ़ेगा, इसलिए वायरस का प्रभाव धीरे-धीरे कम हो जाएगा।