—- 12 शताब्दी में मोरखाणा में बना मुख्य मंदिर सुराणा सांखला भाइपा की कुलदेवी सुसवाणी माता का मुख्य मंदिर बीकानेर के मोरखाणा गांव में स्थापित है। विक्रम संवत 1229 (वर्ष 1173-74 ईस्वी) में जैसलमेरी पत्थरों से 16 स्तंभों से निर्मित है। परिसर में कैरा का एक पेड़ भी है, जो उस किंवदंती का हिस्सा है जहां सुसवाणी माता ने शेर पर सवार होकर पृथ्वी में प्रवेश किया था। निज मंदिर के पास एक पुराना शिव मंदिर स्थित है। माना जाता है कि शिवजी ने वहां से चिमटा फेंका था, जो मौजूदा कैरा पेड़ के बीच गिरा, जिससे वह धरती समेत दो हिस्सों में बंट गया तथा सुसवाणी माता बादशाह तुरक से स्वयं का बचाव करते हुए अपने सिंह के साथ पृथ्वी में समा गईं और पृथ्वी फिर से बंद हो गई लेकिन माताजी का एक हाथ आशीर्वाद स्वरूप बाहर रह गया जो आज भी निज मंदिर में पूजा जाता है।