जोधपुर

राजस्थान के इस शहर में आज रातभर रहेगा महिलाओं का ‘राज’, जानिए क्यों?

Dhinga Ganwar: धींगाणे की धूम और उल्लास उमंग और मस्ती के आलम में रातभर पारम्परिक गवर गीतों का दौर भी चलेगा।

जोधपुरApr 27, 2024 / 05:01 pm

Rakesh Mishra

Dhinga Ganwar: सूर्यनगरी में शनिवार की रात भीतरी शहर की तंग गलियों में अनूठी परम्परा का निर्वहन होगा। सोलह दिवसीय गवर पूजन अनुष्ठान के अंतिम दिन ‘रतजगे’ की रात मस्ती और भांति- भाति के स्वांग रची तीजणियां पुरुषों पर बेंतों का प्रहार करते हुए गवर माता के दर्शनार्थ घरों से निकलेंगी। एक दर्जन से ज्यादा स्थानों पर विराजित गवर प्रतिमाओं के दर्शनार्थ विभिन्न स्वांग रची तीजणियां हाथों में बेंत लिए निकलेंगी और दर्शन के दौरान मार्ग में बाधक बनने वाले लोगों पर वह बेंत से प्रहार करेंगी। हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी धींगा गवर माता का पूजन गोल मोहल्ले में हो रहा है। पूजन समिति की अध्यक्ष विमला हर्ष व धारा केवलिया ने बताया कि इस कड़ी में शुक्रवार को तीजणियों की ओर से लोटियों का आयोजन किया गया। इस अवसर पर समिति की मीना व्यास, सोनू केवलिया, सोनु व्यास, निधि आदि महिलाएं पूजन कर रही है।

रातभर रहेगी लोकगीतों की धूम

धींगाणे की धूम और उल्लास उमंग और मस्ती के आलम में रातभर पारम्परिक गवर गीतों का दौर भी चलेगा। महिला सशक्तीकरण से जुड़े देशभर में एकमात्र जोधपुर में आयोजित अनूठे मेले के दौरान देर रात तक भीतरी शहर की तंग गलियों में महिलाओं का एक छत्र राज कायम रहेगा।

भोर को होगी भोळावणी

धींगा गवर की भोळावणी शनिवार देर रात पूजन अनुष्ठान पूरा होने के बाद भोर के पहले होगी। भोळावणी के दौरान तीजणियां सभी गवर पूजन सामग्री को पवित्र जलाशय में विसर्जित कर देगी। शहर के मोहल्लों में गवर प्रतिमा को आभूषणों से सजाने के बाद दर्शनार्थ रखा जाएगा। वहीं सोलह दिवसीय धींगा गवर पूजन महोत्सव समापन की पूर्व संध्या पर शुक्रवार को शहर के प्रमुख जलाशयों पर मेले सा माहौल रहा। समूह के रूप में पहुंची तीजणियां चांदी-तांबा, पीतल और स्टील के मिनारनुमा लोटियों में जल भरने के बाद गाजे-बाजे के साथ गवर पूजन स्थल पहुंची। लोटियों के मेले के दौरान समूचा क्षेत्र भंवर म्हाने खेलण द्यो गिणगौर … की धुनों से गूंज उठा। आभूषणों से लकदक तीजणियों में खासा उत्साह नजर आया। गवर पूजन स्थल पर तीजणियों ने समूह के रूप में गवर माता को जल पिलाने की रस्म पूरी की। इससे पूर्व पदमसर-रानीसर आदि जलाशयों पर लोटियों का चंदन, दूब और पुष्प से पूजन किया गया ।
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