डॉ. कोठारी कहा, व्यक्ति चाहे जो भी काम करें उसमें शत-प्रतिशत एकाग्रचित्त होना ही मेडिटेशन है। यह भाव जीवन के प्रत्येक काम में होना चाहिए। मोबाइल ने जिंदगी में सोचने की क्षमता को कम कर दिया है। इससे एकाग्रता खत्म हो रही है। खाने के समय भी मोबाइल सामने होता है। यह पता ही नहीं चलता कि क्या खाया। यह खाने का महत्व कम कर देता है। हम जैसा खाते हैं, वैसा ही शरीर बनता है। आज के बच्चों को अन्न की महत्ता समझने की जरूरत है। डॉ. कोठारी ने आत्मा, मन, शरीर, अन्न के ज्ञान को आसान तरीके से युवाओं को समझाया। कोठारी ने कहा, हमारे पुरातन चिकित्सा शास्त्र हजारों साल पुराने हैं। इनमें जो बातें कही गईं हैं, अब वे बातें विज्ञान की कसौटी पर भी खरी उतर रही है। डॉ. कोठारी ने शरीर रचना में महत्वपूर्ण तत्व की महत्ता को भी युवाओं को बताया।
कौन सपने पूरे कर रहा है….
कोठारी ने कहा कि यह सपने देखने का समय है। सपने जितने बड़े होंगे। आप उतने ही बड़े होंगे, लेकिन मुख्य बात यह है कि सपने कौन पूरे कर रहा है और कौन सिर्फ सपने देख रहा है। पढ़ाई करके पैकेज पर ध्यान देना और फिर परिवार का पालन करना ही सपना पूरा हो जाना नहीं है। सपने पूरे करने के लिए आपने समाज, देश से कितना लिया और वापस कितना लौटाया है। वो महत्वपूर्ण है। तब हमारे सपने वाकई में पूरे होते हैं।
बदलाव के कारण आ रही दिक्कतें
डॉ. कोठारी ने कहा, दैनिक जीवन में आने वाले बदलाव के कारण अब ज्यादातर महिलाओं में बदलाव आ रहा है। मोबाइल व गेजेट्स के अत्यधिक उपयोग से उनमें संतानोत्पति की समस्या तक पैदा हो रही हैं। अगर समय रहते हुए नहीं चेते तो परिणाम गंभीर होंगे।
महिला में करूणा का भाव
डॉ. कोठारी ने कहा कि महिला में करूणा का भाव होता है। एक लड़की का जब विवाह तय हो जाता है तब वह अपने परिवार और पति के सपने देखने लगती है। मां-बाप जहां उसकी शादी तय करते है वह सुहागिन बनकर जाती है और उस परिवार को और भी बेहतर बनाती है। साथ अपने पति को वैसे बनाती है जैसा वो सोचती है। उसके मन में करूणा का भाव हमेशा रहता है। उन्होंने यह बात कहावत के माध्यम से कही, ‘महिला ससुराल खड़ी आती है और लेटी हुई जाती है।’
मां की रोटी में प्यार
उन्होंने कहा कि मां की रोटी में प्यार होता है। मां को यह पता होता है कि ये रोटी मैं अपने बेटे के लिए बना रही हूं। इसलिए उसमें मेहनत के साथ मां का लाड भरा होता है। उसका स्वाद भी अलग होता है। जबकि यह स्वाद वीकेंड पर बाहर जाकर खाना खाने में नहीं आता। क्योंकि वो सभी के लिए काम कर रहा है मां अपने परिवार के लिए।