मेडिकल कॉलेज संबंद्ध सैटेलाइट व जिला अस्पतालों में कॉलेज से कार्यरत डॉक्टर्स सेवाएं देंगे। संयुक्त निदेशक डॉ. संजीव जैन ने बताया कि दो मेडिकोज आए थे, जिन्होंने बाड़मेर जाने की इच्छा जताई। उसके अलावा कोई मेडिकोज नहीं आया। इस मामले में डॉ. एसएन मेडिकल कॉलेज प्रिंसिपल अमिलाल भाट ने कहा कि वे मामले को दिखवा रहे हैं। अखिल राजस्थान सेवारत चिकित्सक संघ के राज्य सचिव डॉ. बलवंत मंडा ने बताया कि सरकार के साथ हमारी वार्ता विफल रही है। सरकार ने दो माह का समय दिया, लेकिन हम पहले भी तीन माह का समय दे चुके हैं। इस इस संबंध में मुख्य सचिव अशोक जैन को भी ज्ञापन दिया है। आंदोलन में मेडिकल कॉलेज संबंद्ध अस्पतालों में कार्यरत स्वास्थ्य विभाग के चिकित्सकों ने भी समर्थन देते हुए इस्तीफा दिया है।
गांधी, उम्मेद और एमडीएम पर आज ज्यादा भार मेडिकल कॉलेज के छात्रों की ओर से कार्य व्यवस्था नहीं संभाले जाने के कारण मरीजों को स्थानीय अस्पतालों में चिकित्सा सुविधा नहीं मिल पाएगी। स्वाभाविक है कि डॉ. एसएन मेडिकल कॉलेज संबंद्ध महात्मा गांधी, उम्मेद और मथुरादास माथुर अस्पताल पर मरीजों का अत्यधिक भार बढ़ेगा।
भावी डॉक्टरों का मौन समर्थन जानकारी के अनुसार मेडिकल कॉलेज में डॉक्टरी की पढ़ाई कर रहे मेडिकोज अपने वरिष्ठ चिकित्सकों के समर्थन में हैं। प्रशासन ने उनके साथ सहायक आचार्य तक नहीं लगाया है। एेसे में कोई बड़ी घटना होती है तो जवाबदारी कौन लेगा। मेडिकोज का कहना है कि उनकी फीस भी दस गुणा बढ़ा दी गई है।
सीएमएचओ भी जा सकते हैं हड़ताल पर
राज्य सरकार और सेवारत चिकित्सक आर-पार की लड़ाई के मूड में आ गए हैं। सीएमएचओ, डिप्टी सीएमएचओ, आरसीएचओ और शीर्ष स्तर के अधिकारी भी सोमवार को हड़ताल पर जा सकते हैं, क्योंकि बताया जा रहा है कि सेवारत चिकित्सकों के प्रदेशाध्यक्ष डॉ. अजय चौधरी स्वयं चूरू में सीएमएचओ हैं। एेसे में सभी अधिकारी सीएमएचओ डॉ. चौधरी का समर्थन देंगे। संयुक्त सचिव डॉ. रामकिशोर विश्नोई ने बताया कि मांगें नहीं मानी गई तो रेजीडेंट डॉक्टर एसोसिएशन भी अरिसदा के समर्थन में आएगी।