प्रेम की अनुभूति साहिर की शाइरी से सजे ‘मैं तुम्हें फिर मिलूंगी’ क्लासिकल नाटक ने पंजाबी लेखिका अमृता प्रीतम और उर्दू शाइर साहिर लुधियानवी के साथ-साथ चित्रकार इमरोज के प्रेम की एेसी ही कुछ अनुभूति कराई।
दर्शकोंं ने खूब आनंद लिया यह अभिव्यक्ति संस्था की ओर से आयोजित दलपत परिहार स्मृति नाट्य समारोह के तहत मंगलवार को टाउन हॉल में मंचित नाटक का नजारा था, जिसका दर्शकोंं ने खूब आनंद लिया।यह संयोग था कि मंगलवार को शाइर साहिर लुधियानवी की बरसी भी थी।
औरत की सुरक्षा वरिष्ठ साहित्यकार चिंतक कवि डॉ. रामप्रसाद दाधीच लिखित व रंगकर्मी डॉ. एस पी रंगा निर्देशित इस नाटक में संदेश प्रतिध्वनित हुआ कि एक बेबाक और अपनी शर्तों पर जीने वाली औरत को आसमां की उन्मुक्तता और छत की सुरक्षा दोनों की आवश्यकता होती है।
रचनाकर्म में झांकना होगा नाटक ने दर्शकों को न केवल एक रूहानी सफर के साथ आत्मिक आनंद से साक्षात्कार करवाया, बल्कि संदेश दिया कि साहिर और अमृता प्रीतम को जानना हो तो उनके रचना कर्म में झांकना होगा और उनकी तन्हाई की दर्द भरी अनुगूंज सुननी होगी।
पर्देे पर रचा शाहकार इसमें एक बार फिर अनुराधा आडवाणी ने अमृता प्रीतम, डॉ. एसपी रंगा ने साहिर लुधियानवी और एमएस जई ने इमरोज के रूप में भाव और संवादों की जुगलबंदी से सजी शानदार अदाकारी की। वहीं दिनेश सारस्वत-सरदार मोहनसिंह की भूमिका में खूब जमे। पेशकश में उर्दू के क्लिष्ट उच्चारण के लिए किया गया अभ्यास भी झलका। वहीं सुधांशु मोहन-नवराज, डॉ. नीतू परिहार-उमा त्रिलोक ने पूरा पूरा न्याय किया।
पर्दे के इतर मंच पाश्र्व में रमेश भाटी, रामदेव, सईद खान, अरु व्यास, स्वाति व्यास व कैलाश गहलोत ने सहयोग किया। संचालन हरिप्रसाद वैष्णव ने किया। खूब जमा चौथा मंचन यह इस नाटक का चौथा मंचन था। यह नाटक दो बार जोधपुर, एक बार चंडीगढ़, दो बार जयपुर और एक बार बीकानेर में मंचित हो चुका है।
परिहार को याद किया इस मौके राजस्थान उच्च न्यायालस के न्यायाधीश पंकज भंडारी, पूर्व न्यायाधीश व साहित्यकार मुरलीधर वैष्णव,अतिरिक्त आबकारी आयुक्त जोन छगनलाल श्रीमाली, पत्रकार पदम मेहता व उदयपुर से आए दलपत परिहार के मित्र कवि किशन दाधीच ने दलपत परिहार के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित की। पूर्व विधायक जुगल काबरा ने परिहार को विलक्षण रंगकर्मी और साहित्यकार बताया।