scriptअमृता ने इमरोज की पीठ पर ‘साहिर’ लिखा,साहिर लुधियानवी की बरसी,दलपत परिहार नाट्य समारोह | drama festival; mein tumhein phir milungi play | Patrika News
जोधपुर

अमृता ने इमरोज की पीठ पर ‘साहिर’ लिखा,साहिर लुधियानवी की बरसी,दलपत परिहार नाट्य समारोह

रंगकर्मी दलपत परिहार की याद में अभिव्यक्ति संस्था की ओर से आयोजित नाट्य समारोह के तहत मंगलवार को टाउन हॉल में क्लासिकल नाटक ‘मैं तुम्हें फिर मिलूंगी का प्रभावी मंचन किया गया। जिसमें अमृता प्रीतम, साहिर लुधियानवी और चित्रकार इमरोज की यादें ताजा हो उठीं।

जोधपुरOct 26, 2016 / 08:40 am

Harshwardhan bhati

mein tumhein phir milungi play

mein tumhein phir milungi play

अजीम शाइर साहिर लुधियानवी के मुंबई जाने के बाद तन्हा लेखिका अमृता प्रीतम की चित्रकार इमरोज से दोस्ती होती है और वह एक रोज वह इमरोज की पीठ पर ‘साहिर’ लिखती है। वह साहिर के शेर गुनगुनाती है। अमृता प्रीतम का साहिर लुधियानवी के साथ यह प्यार आसमां की तरह था, लेकिन इमरोज का प्यार इंद्रधनुषी छत की तरह।
प्रेम की अनुभूति

साहिर की शाइरी से सजे ‘मैं तुम्हें फिर मिलूंगी’ क्लासिकल नाटक ने पंजाबी लेखिका अमृता प्रीतम और उर्दू शाइर साहिर लुधियानवी के साथ-साथ चित्रकार इमरोज के प्रेम की एेसी ही कुछ अनुभूति कराई।
दर्शकोंं ने खूब आनंद लिया

यह अभिव्यक्ति संस्था की ओर से आयोजित दलपत परिहार स्मृति नाट्य समारोह के तहत मंगलवार को टाउन हॉल में मंचित नाटक का नजारा था, जिसका दर्शकोंं ने खूब आनंद लिया।यह संयोग था कि मंगलवार को शाइर साहिर लुधियानवी की बरसी भी थी।
औरत की सुरक्षा

वरिष्ठ साहित्यकार चिंतक कवि डॉ. रामप्रसाद दाधीच लिखित व रंगकर्मी डॉ. एस पी रंगा निर्देशित इस नाटक में संदेश प्रतिध्वनित हुआ कि एक बेबाक और अपनी शर्तों पर जीने वाली औरत को आसमां की उन्मुक्तता और छत की सुरक्षा दोनों की आवश्यकता होती है।
रचनाकर्म में झांकना होगा

नाटक ने दर्शकों को न केवल एक रूहानी सफर के साथ आत्मिक आनंद से साक्षात्कार करवाया, बल्कि संदेश दिया कि साहिर और अमृता प्रीतम को जानना हो तो उनके रचना कर्म में झांकना होगा और उनकी तन्हाई की दर्द भरी अनुगूंज सुननी होगी।
पर्देे पर रचा शाहकार

इसमें एक बार फिर अनुराधा आडवाणी ने अमृता प्रीतम, डॉ. एसपी रंगा ने साहिर लुधियानवी और एमएस जई ने इमरोज के रूप में भाव और संवादों की जुगलबंदी से सजी शानदार अदाकारी की। वहीं दिनेश सारस्वत-सरदार मोहनसिंह की भूमिका में खूब जमे। पेशकश में उर्दू के क्लिष्ट उच्चारण के लिए किया गया अभ्यास भी झलका। वहीं सुधांशु मोहन-नवराज, डॉ. नीतू परिहार-उमा त्रिलोक ने पूरा पूरा न्याय किया।
पर्दे के इतर

मंच पाश्र्व में रमेश भाटी, रामदेव, सईद खान, अरु व्यास, स्वाति व्यास व कैलाश गहलोत ने सहयोग किया। संचालन हरिप्रसाद वैष्णव ने किया।

खूब जमा चौथा मंचन

यह इस नाटक का चौथा मंचन था। यह नाटक दो बार जोधपुर, एक बार चंडीगढ़, दो बार जयपुर और एक बार बीकानेर में मंचित हो चुका है।
परिहार को याद किया

इस मौके राजस्थान उच्च न्यायालस के न्यायाधीश पंकज भंडारी, पूर्व न्यायाधीश व साहित्यकार मुरलीधर वैष्णव,अतिरिक्त आबकारी आयुक्त जोन छगनलाल श्रीमाली, पत्रकार पदम मेहता व उदयपुर से आए दलपत परिहार के मित्र कवि किशन दाधीच ने दलपत परिहार के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित की। पूर्व विधायक जुगल काबरा ने परिहार को विलक्षण रंगकर्मी और साहित्यकार बताया।

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो