scriptकाली मिर्च के लड्डू खाओ, बूढ़ापे में भी याददाश्त बनी रहेगी | Eat pepper laddus, memory will be maintained even in old age | Patrika News

काली मिर्च के लड्डू खाओ, बूढ़ापे में भी याददाश्त बनी रहेगी

locationजोधपुरPublished: Mar 07, 2021 03:25:52 pm

JNVU News AIIMS Jodhpur
– जेएनवीयू, एम्स जोधपुर सहित चार संस्थाओं के संयुक्त शोध में चौंकाने वाले नतीजे – डायबिटीक मरीजों पर ग्लिप्टिन ड्रग के बराबर काली मिर्च ने काम किया, मरीजों में अल्जाइमर्स रोका

काली मिर्च के लड्डू खाओ, बूढ़ापे में भी याददाश्त बनी रहेगी

काली मिर्च के लड्डू खाओ, बूढ़ापे में भी याददाश्त बनी रहेगी

जोधपुर. पुराने जमाने में लोग सर्दियों में काली मिर्च डालकर मैथी व उड़द के लड्डू खाते थे ताकि शरीर के साथ दिमाग भी तरोताजा बना रहे। अब विज्ञान ने भी हमारी परंपरा पर मोहर लगा दी है। एम्स जोधपुर, जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय जोधपुर, मोहनलाल सुखाडिय़ा विश्वविद्यालय उदयपुर और इंद्रप्रस्थ विश्वविद्यालय दिल्ली के संयुक्त शोध ने साबित किया कि काली मिर्च में पाया जाने वाले पीपेरिन फाइटो कम्पाउण्ड मस्तिष्क की तंत्रिका कोशिकाओं को नष्ट होने से बचाता है। उम्र बढऩे और डायबिटीक मरीजों में ग्लूकोज का स्तर अधिक होने के कारण धीरे-धीरे तंत्रिका कोशिकाएं खत्म होने से याददाश्त कम होने लगती है और व्यक्ति अल्जामइमर्स की तरफ बढ़ते हैं। डायबिटीज मरीजों को इससे बचाव के लिए ग्लिपिटन ड्रग देते हैं। शोध में काली मिर्च के पीपेरिन यौगिक ने भी ड्रग के बराबर कार्य करके तंत्रिका कोशिकाओं को बचाया। यह अध्ययन जीन स्तर पर किया गया। अमरीका के प्रतिष्ठित फ्रंटियर फार्मेकोलॉजी ने इस शोध पत्र को प्रकाशित किया है।
चूहों के 4 समूह बनाकर शोध
यह शोध चूहों पर किया गया। चूहों के चार समूह बनाए गए। पहले समूह के चूहे डायबिटीक, दूसरे समूहे के चूहे सामान्य, तीसरे समूहे के चूहों को ग्लिप्टिन ड्रग और चौथे समूह के चूहों को काली मिर्च दी गई। काली मिर्च प्रतिदिन 20 मिलीग्राम प्रति किलो वजन के अनुसार दी गई। इसके बाद चूहों का मोरिस वाटर मेज व प्रोब टेस्ट से याददाश्त कार्यप्रणाली की जांच, रक्त के सीरम में होमा इंडेक्स व लिपिड प्रोफाइल के जरिए बायोकेमिकल जांच, मस्तिष्क व अग्नाशय में न्यूरोन व बीटा कोशिकाओं की हिस्टोपैथोलॉजिकल जांच की गई। ग्लिप्टिन ड्रग के बराबर ही काली मिर्च के पीपेरन कंपाउड ने कार्य किया।
काली मिर्च का पांचों जीन पर नियंत्रण
डायबिटीज मरीजों में ग्लूकोज का स्तर अधिक होने से कोशिकीय अपघटन की क्रियाएं तेज हो जाती है। कोशिकाएं मरनी शुरू होने पर उस अंग में बेक-1, पीएसईएन-1, एपीएएफ-1, केटलेज और केसपेस-3 जीन की संख्या में बढ़ोतरी हो जात है। काली मिर्च लेने वाले डायबिटीक चूहे के मस्तिष्क में ये पांचों जीन कम पाए गए। ……………………
‘डायबिटीक मरीजों को धीरे-धीरे भूलने की बीमारी हो जाती है। यहां तक की वे अपनी दवाइयां लेना भूल जाते हैं। काली मिर्च के अध्ययन से सामने आया कि यह अल्जामाइर्स को रोकता है। हमनें जीन स्तर तक अध्ययन करके यह साबित कर दिया।’
-डॉ हीराराम, प्राणीशास्त्र विभाग, जेएनवीयू जोधपुर

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