एक आदेश से खड़ा हुआ आपसी संघर्ष नगर निगम जोधपुर के नाम करीब डेढ़ हजार खसरों में स्थित वनभूमि, पहाड़, ओरण, गोचर भूमि को हस्तातंरित करने का उपशासन सचिव – तृतीय , नगरीय विकास विभाग जयपुर का आदेश निकला। जोधपुर जिला कलक्टर को लिखित आदेश व निर्देश की पालना में निगम को हस्तातंरित करीब डेढ़ हजार से अधिक खसरों की भूमि में वन भूमि के महत्वपूर्ण खसरों को भी शामिल कर लिया गया। इनमें जन स्वा.अभि.विभाग की ओर से वर्तमान में सिद्धनाथ वन क्षेत्र में प्रयुक्त कुछ खसरे व आस-पास की भूमि पर विभिन्न प्रकार की जल वितरण व्यवस्था से संबधित कार्य वर्ष 1938 से ही संचालित किए जा रहे हैं।
यह रखी निगम ने डिमांड नगर निगम ने जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग के अधिशासी अभियंता को विभाग की ओर से जलापूर्ति करने वाली पानी की पाइप लाइनों के लिए प्रयुक्त जमीन के बदले नोटिस जारी कर 9.22 करोड़ जमा कराने को कहा है। जबकि पीएचइडी ने चौपासनी फिल्टर हाउस के पीछे ग्राम सुथला व गेंवा के खसरा संख्या 27 व 885 में प्रयुक्त जमीन को 85 साल से प्रयुक्त होना बताया है।
बाधित हो जाएगी पेयजल सप्लाई अधीक्षण अभियंता नगर वृत जोधपुर की ओर से आयुक्त नगर निगम को प्रेषित पत्र में कहा गया है कि इस योजना से जलापूर्ति में बाधा उत्पन्न होगी। अधिशाषी अभियंता जन स्वास्थ्य अभियान्त्रिकी विभाग नगर खण्ड – तृतीय प्रभारी अधिकारी सुनीलदत्त हर्ष ने चार पृष्ठ की एक तथ्यात्मक रिपोर्ट भी निगम अधिकारियों को प्रेषित कर फार्म हाउस योजना को जनहित में निरस्त करना उचित बताया है। राजपत्र में वर्णित बड़ा भाकर वन क्षेत्र की भूमि पर निगम ने फार्म हाउस योजना बनाकर बेचान करना शुरू किया है। पर्यावरणविद रामजी व्यास के अनुसार बेरीगंगा वनक्षेत्र मामला एनजीटी में विचाराधीन है। ऐसे में हस्तांतरण ही गलत है