मनमुटाव भुला पहनाई फूलों की माला
बोरानाडा निवासी अरविंद और खुशबू की शादी वर्ष 2013 में हुई थी। पत्नी के बार-बार पीहर जाने जैसी बातों को लेकर दोनों के बीच अलगाव शुरू हुआ। दो साल पहले तलाक की अर्जी दाखिल कर दी। लोक अदालत के दौरान समझाइश की तो दोनों फिर एक साथ रहने को सहमत हो गए और हाथों-हाथ एक-दूसरे को वरमाला पहना हंसी-खुशी घर को रवाना हो गए जहां उनकी बेटी मम्मी-पापा का इंतजार कर रही थी। लोगों के कहने पर लगाई तलाक की अर्जी शहर के भीतरी इलाके में रहने वाले सद्दाम हुसैन और रुबीना का निकाह डेढ़ वर्ष पूर्व हुआ था। वैचारिक मतभेद और लोगों के कहने के चलते 6 महीने पहले सद्दाम ने कोर्ट में पत्नी से तलाक की अर्जी लगा दी।लोक अदालत के दौरान दोनों काफी देर तक की गई समझाइश से मान गए, दोनों ने फिर से माला पहनाकर कोर्ट से खुशी खुशी विदा हुए। एक अन्य मामले में गौरव और प्रियंका भी समझाइश के बाद एक साथ रहने को राजी हो गए।
महिला को दी नसीहत एक मामले में पत्नी इस बात पर अड़ी रही कि पति घर के ऊपर एक और मंजिल बनवाए। पति रुपए नहीं होने का हवाला दे रहा था। पिता के साथ आई महिला बार-बार पिता को देख रही थी और पिता उसे जिद पर अड़े रहने का इशारा करता रहा। यह देखकर न्यायाधीश ने महिला को कहा कि जब तक अपना निर्णय खुद नहीं लोगी तब तक तुम्हारा दांपत्य जीवन पटरी पर नहीं आ सकता। जबकि पिता की ओर देखते हुए बोले कि बेटी को गाइड करना बंद कर पति के हवाले कर दो।
ये लेकर आए शिकायतों की लिस्ट
ये लेकर आए शिकायतों की लिस्ट
जोधपुर के निकट एक कस्बे में तैनात एक सरकारी डॉक्टर ने छह वर्ष से पत्नी से अलग रहने के आधार पर तलाक का मुकदमा दायर किया हुआ था। लोक अदालत में जज ने पति-पत्नी से समस्याएं पूछी तो डॉक्टर ने लिस्ट निकालकर बताया कि समय पर खाना नही बनाती थी। कोई बात नहीं मानती, यहां तक कि हनीमून के दिन भी झगड़ा किया। पत्नी चुपचाप सुनती रही ,आखिर में कहा सब बातें गलत हैं।
दोनों के एक बच्चा है। जज ने छोटी बातें भुलाकर साथ रहने को कहा। लेकिन डॉक्टर पति ने कहा कि वह इस जन्म में साथ नहीं रह सकता। समझाइश से प्रकरणों का निस्तारण
राजस्थान उच्च न्यायालय के नए भवन में आयोजित वर्ष 2019 की चौथी राष्ट्रीय लोक अदालत का शुभारंभ राजस्थान राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के कार्यकारी अध्यक्ष जस्टिस संगीतराज लोढ़ा ने किया। यहां दो बैंचों ने विभिन्न प्रकृति के 69 प्रकरणों का निस्तारण कर 1 करोड़, 11 लाख, 52 हजार रुपए के अवार्ड पारित किए।
जिला अदालत अदालत में आयोजित चौथी राष्ट्रीय लोक अदालत में 1856 प्रकरणों निस्तारण किया और 18 करोड़, 93 लाख, 52 हजार रुपए से अधिक के अवार्ड पारित किए गए।