बारिश का पानी सीधे टैंक में जाने से पहले पास ही ए, बी, सी व डी नाम से फिल्टर प्लांट बनाए गए हैं। इनमें चालीस, बीस, आठ व छह एमएम की कंकरी डाली गई। ताकि मिट्टी के कण, कचरा आदि छनकर अगले प्लांट तक पहुंच सके। सबसे अंत में बजरीनुमा कंकरी से फिल्टर होकर शुद्ध पानी टैंक में जमा होगा। इसमें पूरी तरह से देशी तकनीक का यूज किया गया है। टैंक पूरा भरने पर ओवरफ्लो सिस्टम बनाया गया है। जिसके माध्यम से पानी घर के बाहर बंद पड़े बोरवेल में चला जाएगा। नलकूप के माध्यम से वाटर रिचार्ज जल पुनर्भरण का काम करेगा। इसे पूरे सिस्टम की लागत तीन से साढ़े तीन लाख रुपए आई है।
गांवों में बरसाती पानी को सहेजकर टांकों में एकत्रित किया जाता रहा है। जिसे ग्रामीण महीनों तक पीने के काम लेते हैं। पूर्व विधायक ने इस सिस्टम में खेत में बहने वाले पानी को भी सहेजने का प्रयास किया। गांव के आस-पास पहाड़ी है। बरसात में पूरे वेग से पानी बहता है। कई बार खेतों की मेड़ें क्षतिग्रस्त हो चुकी हैं। इस सिस्टम के जरिए खेतों में पाइप डालकर ढलान वर्षों से बंद पड़े बोरवेल की तरफ कर दी। ताकि बरसात खेत में बहने वालो बरसाती पानी भी बोरवेल में जाकर जमीन में संचित हो सकेगा।
ओसियां विधानसभा डार्क जोन में आता है। आजीविका का प्रमुख साधन कृषि है। डार्क जोन से बाहर निकलने के लिए प्रत्येक व्यक्ति को अपने स्तर पर भूजल स्तर बढ़ाने के लिए प्रयास करना होगा। इस तरह का रैन वाटर हार्वेटिंग सिस्टम किसानों को अपनाना चाहिए। जिससे नकारा नलकूपों का उपयोग कर वर्षा जल संचय करके भूजल स्तर को बढ़ाया जा सकता है।
– भैराराम सियोल, पूर्व विधायक ओसियां