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जोधपुर

गणगौर पूजन में सजी गवर-ईसर की झांकियां

तीजणियों का उल्लास चरम पर, लोटियों के मेले व गणगौरी तीज की तैयारी

जोधपुरApr 13, 2021 / 12:27 am

Nandkishor Sharma

गणगौर पूजन में सजी गवर-ईसर की झांकियां

गणगौर पूजन में सजी गवर-ईसर की झांकियां

जोधपुर. होली के दूसरे दिन से आरंभ हुआ गवर पूजन का समापन गणगौरी तीज को होगा। गणगौरी तीज की पूर्व संध्या पर गवर पूजने वाली तीजणियां पूरे एक पखवाड़े बाद गवर माता को पानी पिलाने के लिए विभिन्न धातुओं के पात्र लेकर पवित्र जलाशयों पर पहुंचेगी। लोटियों को जल से भरने के बाद समूह के रूप में शीश पर रखकर गवर पूजन स्थल पहुंचेगी और गवर माता को पानी पिलाने की रस्म पूरी करेंगी। भीतरी शहर के पदमसागर, रानीसर एवं गुलाब सागर के सामने महिला बाग का झालरा से जल लाने की परम्परा है। लेकिन इस बार कोविड गाइडलाइन को देखते हुए पूजन स्थल के नजदीक जलाशयों से ही परम्परा का निर्वहन किया जाएगा।
तीजणियों का उल्लास चरम पर
पिछले एक पखवाड़े से आयोजित गवर पूजन के दौरान शीतलाष्टमी से आरंभ हुआ परिचितों और रिश्तेदारों के घर-घर जाकर घुड़ला घुमाने का उल्लास सोमवार को चरम पर रहा। घुड़ला पूजन का क्रम मंगलवार तक जारी रहेगा। तीजणियों के समूह ने पारम्परिक गवर माता के गीत गाकर मंगलकामना की। गवर पूजन स्थलों पर तीजणियों की ओर से गवर-ईसर की सजीव झांकियां सजाई गई तो कई जगह गवर प्रतिमाओं व घुड़ले के साथ परिचितों के घर पहुंची।
नव संवत्सर से भी जुड़ा है घुड़ला गवर पूजन
माहेश्वरी समाज महिला मंडल की पूर्व अध्यक्ष प्रभा वैद्य ने बताया कि घड़े का लघु रूप ही घुड़ला है। घुड़ला पूजन के दौरान छिद्रयुक्त घड़े में प्रज्ज्वलित दीपक मन की चेतना का प्रतीक है। चैत्र माह संवत्सर संक्रांति काल और चेतना का प्रतीक माना गया है। नव संवत्सर पर सभी के मन प्रकाशमान होकर औरों के जीवन को भी आलोकित करे इसी उद्देश्य से घुड़ला पूजन किया जाता है। तीजणियां इसी उद्देश्य से घुड़ला लेकर परिचितों और रिश्तेदारों के घर पहुंचती है।

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