पिछले एक पखवाड़े से आयोजित गवर पूजन के दौरान शीतलाष्टमी से आरंभ हुआ परिचितों और रिश्तेदारों के घर-घर जाकर घुड़ला घुमाने का उल्लास सोमवार को चरम पर रहा। घुड़ला पूजन का क्रम मंगलवार तक जारी रहेगा। तीजणियों के समूह ने पारम्परिक गवर माता के गीत गाकर मंगलकामना की। गवर पूजन स्थलों पर तीजणियों की ओर से गवर-ईसर की सजीव झांकियां सजाई गई तो कई जगह गवर प्रतिमाओं व घुड़ले के साथ परिचितों के घर पहुंची।
माहेश्वरी समाज महिला मंडल की पूर्व अध्यक्ष प्रभा वैद्य ने बताया कि घड़े का लघु रूप ही घुड़ला है। घुड़ला पूजन के दौरान छिद्रयुक्त घड़े में प्रज्ज्वलित दीपक मन की चेतना का प्रतीक है। चैत्र माह संवत्सर संक्रांति काल और चेतना का प्रतीक माना गया है। नव संवत्सर पर सभी के मन प्रकाशमान होकर औरों के जीवन को भी आलोकित करे इसी उद्देश्य से घुड़ला पूजन किया जाता है। तीजणियां इसी उद्देश्य से घुड़ला लेकर परिचितों और रिश्तेदारों के घर पहुंचती है।