मुख्य न्यायाधीश एस.रविंद्र भट्ट (CJ of Rajasthan highcourt) और न्यायाधीश विनितकुमार माथुर की खंडपीठ ने राज्य सरकार की ओर से दायर एक अपील का निस्तारण करते हुए यह आदेश दिए। दरअसल, राज्य सरकार ने गत 31 जुलाई को एक आदेश जारी कर कहा था कि संविदाकर्मियों को न्यूनतम मजदूरी का भुगतान सीधे न करते हुए ठेकेदार के माध्यम से किया जाए।
सुनवाई के दौरान सरकार की ओर से यह कहा गया कि ऐसा मॉनिटरिंग मैकेनिज्म विकसित किया जाएगा, जो संविदाकर्मियों को वास्तविक भुगतान होना सुनिश्चित करेगा। अप्रार्थीगण की ओर से अधिवक्ता गजेन्द्रसिंह बुटाटी ने कहा कि राज्य को संविदाकर्मी और राज्य के बीच सीधा अनुबंध सुनिश्चित करना चाहिए।
खंडपीठ ने दोनों पक्षों की सुनवाई के बाद कहा कि राज्य सरकार को संविदाकर्मियों को न्यूनतम मजदूरी का भुगतान सीधे उनके ही खातों में करने का मैकेनिज्म विकसित करना चाहिए, इस संबंध में जरूरी सूचनाएं ठेकेदार से प्राप्त की जा सकती है।
यह ठेकेदार व संविदाकर्मी के रिश्ते को प्रभावित नहीं करेगा।