scriptJNVU: शिक्षक भर्ती की लचर जांच से सरकार को 67 करोड़ का चूना | Government lapses Rs 67 crore due to poor investigation of teacher rec | Patrika News
जोधपुर

JNVU: शिक्षक भर्ती की लचर जांच से सरकार को 67 करोड़ का चूना

– 5 साल में 154 शिक्षकों ने उठाए करोड़ों रुपए के वेतन-भत्ते
– भर्ती निरस्त होने पर सरकार को करोड़ों रुपए के राजस्व का नुकसान

जोधपुरJul 17, 2018 / 09:52 pm

Gajendrasingh Dahiya

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JNVU: शिक्षक भर्ती की लचर जांच से सरकार को 67 करोड़ का चूना

जोधपुर. जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय में शिक्षक भर्ती 2012-13 की भर्ती प्रक्रिया में भारी गड़बड़ी और उसके बाद जांच में ढिलाई से अब तक करोड़ों रुपए के सरकारी राजस्व का नुकसान हो चुका है। पांच साल में 154 शिक्षकों को वेतन मद में करीब 67 करोड़ रुपए का भुगतान किया जा चुका है। अतिरिक्त कालांश, परीक्षा ड्यूटी, कॉपी जांच, निजी कॉलेज का निरीक्षण, कमेटी भत्ता सहित अन्य कार्यों के लिए हुआ भुगतान अलग से है। अगर सरकार भर्ती निरस्त करती है तो सरकार को 67 करोड़ रुपए का सीधा नुकसान होगा। राज्य सरकार और विवि के मध्य हुए एमओयू के तहत सरकार विवि को अनुदान के तौर पर हर साल करोड़ों रुपए देती है।
जेएनवीयू ने वर्ष 2011-12 में 196 शिक्षकों की भर्ती के लिए आवेदन निकाला, लेकिन 154 शिक्षकों को भर्ती किया। फरवरी-मार्च 2013 में सभी शिक्षकों की नियुक्ति हो गई। इसमें 111 असिस्टेंट प्रोफेसर, 26 एसोसिएट प्रोफेसर और 17 प्रोफेसर थे। दो साल के प्रोबेशन पीरियड में वेतन निश्चित था। चयनित होने वाले ऐसे शिक्षक जो पहले से प्रदेश के किसी विवि या महाविद्यालय में सेवा दे रहे थे उनको वेतन सुरक्षा (पे प्रोटेक्शन) भी दी गई। असिस्टेंट प्रोफेसर को दो साल तक प्रति माह 24 हजार 200 रुपए वेतन मिला। उसके बाद उनका वेतन 56 हजार कर दिया गया। एसोसिएट प्रोफेसर को प्रोबेशन पीरियड में 40 हजार 400 और प्रोफेसर को 48 हजार मिला। दो साल के बाद एसोसिएट प्रोफेसर का वेतन 1 लाख 43000 और प्रोफेसर का 1 लाख 48000 हो गया। लेकिन एसोसिएट प्रोफेसर और प्रोफेसर पद पर भर्ती हुए अधिकांश अभ्यर्थी पहले से विवि अथवा महाविद्यालय की सेवा में थे। ऐसे में उनको वेतन सुरक्षा दी गई यानी किसी शिक्षक को पहले से किसी विवि में 175000 रुपए मिल रहे थे तो उसे यहां चयनित होने पर पहले दिन से ही उतना ही वेतन दिया गया।
5 साल बाद जागी सरकार
वर्ष 2013 में भाजपा ने अपने चुनाव प्रचार अभियान के दौरान भर्ती रद्द करने का आश्वासन दिया था। इसके लिए ब्लैक पेपर भी जारी किया लेकिन सरकार बनने के बाद जांच में ढिलाई बरती गई। अब सरकार का पांच साल का कार्यकाल खत्म होने के बाद भर्ती पर कार्रवाई कर रही है। इन पांच सालों में करोड़ों का राजस्व घाटा हो चुका है।

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