फ सल आवक के समय से ही बाजार में सरसो का बाजार भाव समर्थन मूल्य से ज्यादा था इस कारण किसानों को समर्थन मूल्य पर निर्भर नहीं रहना पड़ा और खुले बाजार में ही किसानों को सरसो के अच्छे भाव मिले। तिलहन फ सलों में आई तेजी से किसानों का रुझान इन फ सलों की ओर बढऩे की उम्मीद है। जिससे देश की खाद्य तेल आयात आवश्यकता पर निर्भरता कम होगी।
देश में सर्वाधिक उत्पादन राजस्थान में
देश में सबसे ज्यादा सरसो का उत्पादन राजस्थान में करीब 35 लाख टन हुआ है। देश में कुल 89.50 लाख टन सरसो उत्पादन का अनुमान व्यक्त किया गया। पॉम ऑयल के आयात को हतोत्साहित करना
विशेषज्ञों की मानें तो इस बार सरकार ने विदेशों से पाम ऑयल के आयात पर रोक लगा दी है। पाम ऑयल का इस्तेमाल रिफ ाइंड तेल बनाने में होता है। पाम ऑयल का आयात बंद है इसलिए सरसो के तेल की मांग बहुत अधिक हो गई है और सरसो के भाव आसमान छू रहे हैं। सरसो तेल 175 से 200 रुपए प्रति लीटर बिक रहा है। —
अन्य खाद्य तेलों की मिक्सिंग को प्रतिबंधित करना भी तेजी का कारण
केन्द्र सरकार के खाद्य सुरक्षा प्रमाणन नियामक की ओर से सितम्बर 2020 में सरसो में 20 प्रतिशत तक अन्य खाद्य तेल की मिक्सिंग को प्रतिबंधित कर दिया गया था। लेकिन कंपनियों ने पुराने स्टॉक के उत्पादन का हवाला देकर कोर्ट में याचिका दायर की थी जिससे इसके लिए अतिरिक्त समय दिया गया। अब 6 जून से सरसो तेल में अन्य खाद्य तेलों की मिक्सिंग पूर्णतया प्रतिबंधित हो गई है। सरकार के इस कदम से उपभोक्ताओं को शुद्ध तेल मिलेगा, वहीं किसानों को फ सलों के सही कीमत मिल सकेगी।
भारत बड़ी मात्रा में खाद्य तेल आयात करता है, ऐसे में अच्छे भाव रहने से तिलहन फ सलों के प्रति किसानों का रुझान बढ़ेगा, इससे किसानों व देश दोनों को फ ायदा होगा।
रतनलाल डागा, राष्ट्रीय जैविक प्रमुख
भारतीय किसान संघ
रबी सीजन में 14 बीघा में 50 किंवटल सरसो का उत्पादन हुआ। पिछले 10 सालों में इस बार फ सल के अच्छे दाम मिले। सरकार फ सलों के भाव बढऩे से रोकने के लिए हस्तक्षेप नहीं करें तो किसानों को फ सल के हर बार सही दाम मिल सकेंगे।
श्रवण भादू, प्रगतिशील किसान