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अमरीका, अफ्रीका, आस्ट्रेलिया में भी ग्वार की खेती होने लगी है। चीन, ओमान, अमरीकी आदि देशों में तो ग्वार के उद्योग लगने से विदेशों में भारत के ग्वारगम की मांग घट गई है। इसके अलावा, ग्वार के दूसरे विकल्प जैसे सीएमसी व कार्बनिक विकल्प के रूप में इमली, कैसिया आदि उपलब्ध हो गए हैं।
‘ग्वारगम निर्यात को प्रोत्साहित करने के लिए आर्थिक सहयोग समाप्त कर दिया गया । वायदा कारोबार व सटोरियों की वजह से ग्वारगम व ग्वार उद्योगों पर बोझ बढ़ गया है। भंवरलाल भूतड़ा, अध्यक्ष,
ग्वारगम मैन्यूफैक्चरिंग एसोसिएशन
‘सरकार वायदा कारोबार से ग्वारगम को हटा दे तो यह उद्योग पुन: फलेगा-फूलेगा। इससे यह उद्योग पटरी पर आएगा व किसानों को उनकी उपज का पूरे दाम भी मिलेंगे। पुरुषोत्तम मूंदड़ा, सह सचिव,
ग्वारगम मैन्यूफैक्चरिंग एसोसिएशन