पुलिस समय पर दर्ज नहीं करती राज्य में महिलाओं और बालिकाओं पर बढ़ते अत्याचार को लेकर 17 मई को राजस्थान पत्रिका में प्रकाशित टिप्पणी निकम्मेपन की हद पर स्वप्रसंज्ञान लेते हुए हाईकोर्ट ने राज्य के पुलिस महानिदेशक व गृह सचिव से जवाब मांगा था। मुख्य न्यायाधीश एस.रविंद्र भट्ट और न्यायाधीश दिनेश मेहता की खंडपीठ ने बुधवार को इस जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान अतिरिक्त महाधिवक्ता करणसिंह राजपुरोहित से मुखातिब होते हुए कहा, यह पीड़ादायक है कि महिलाओं व बालिकाओं से जुड़े यौन अपराधों की प्रथम सूचना रिपोर्ट पुलिस समय पर दर्ज नहीं करती। हमारे सामने ऐसे कई मामले आए हैं, जिनमें डीजीपी को निर्देश देने पड़े। डीजीपी ने भी मातहत अधिकारियों को ऐसे मामले तत्काल दर्ज करने के निर्देश दिए हैं, लेकिन इसकी जमीनी हकीकत जानना आवश्यक है।
न्याय मित्रों को भी मुहैया करवाई जाए खंडपीठ ने कहा कि चार सप्ताह के भीतर यह जानकारी कोर्ट के अलावा न्याय मित्रों को भी मुहैया करवाई जाए, ताकि वे कोर्ट के सम्मुख अपना पक्ष रख सकें। न्याय मित्र विकास बालिया तथा अधिवक्ता डा.सचिन आचार्य ने कोर्ट को बताया कि पुलिस, न्यायिक अधिकारियों तथा मेडिकल स्टाफ के लिए ट्रेनिंग मॉड्यूल और स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर (एसओपी) के लिए कार्य करने की जरूरत है।