व्यवसायी को बंधक बनाने के बाद आरोपियों ने उसे छोडऩे के लिए किसी परिचित से बात कराने को कहा। व्यवसायी ने अपने परिचितों के नाम बताए लेकिन आरोपियों ने उसके गांव के रूपराम से मध्यस्थता के लिए बात कराने को कहा। व्यवसायी को पता नहीं था कि जिस रूपाराम को मध्यस्थता के लिए बुला रहा हैं वही गिरोह का मास्टर माइंड है। आरोपियों ने रूपाराम के आने के बाद व्यवसायी को 15 लाख रुपए देने की शर्त पर छोड़ दिया। इसके बाद रूपाराम व्यवसायी का मध्यस्थ बनकर अपने साथियों से बात कर रुपए कम कराने का नाटक करता रहा। आखिर में व्यवसायी 5 लाख रुपए देने को तैयार हो गया। इस बीच व्यवसायी को रूपाराम पर संदेह हो गया और उसने पुलिस में शिकायत की।
व्यवसायी 100 ग्राम से ज्यादा सोने के आभूषण पहनता था। इसी कारण रूपाराम की नजर व्यवसायी पर पड़ी। व्यवसायी रूपाराम का परिचित भी था। व्यवसायी को फंसाने के लिए रूपाराम ने अपने साथी नाथुराम की महिला मित्र रेखा को अपने साथ ले लिया। रेखा व्यवसायी से फोन पर बाते करने लगी। आरोपियों ने वारदात को अंजाम देने के लिए 2 महिने तक प्लानिंग की थी।