सुबह 10 से अपराह्न 4 बजे तक सूरज की विकिरण अधिक होती हैं जिसे ऊष्मीय ऊर्जा में बदलकर सोलर कुकर काम में लिया जाता है। रोटी सिकने के लिए करीब 250 डिग्री तापमान चाहिए जो परंपरागत सोलर कुकर से सुबह और शाम के बाद नहीं मिल सकता। आइआइटी ने रात को भी सोलर कुकर के उपयोग के लिए थर्मल बैटरी विकसित की है। यह पोटेशियम/सोडियम नाइट्रेट की बनी है जो फैज चेंज मैटेरियल के रूप में काम करता है। यह ठोस पदार्थ है। इसका गलनांक 300 डिग्री है। सूरज की किरणों से थर्मल बैटरी चार्ज होने के बाद रात को उपयोग में लेने पर यह ठोस अवस्था से द्रव अवस्था में बदलकर 300 डिग्री तक तापमान देती है, जिससे रोटी सेकना और सब्जी उबालना आसान रहता है। राजस्थान में साल में करीब 330 दिन तक अधिक सूरज की किरणें धरती पर आती हैं। ऐसे में यहां सोलर कुकर के सफलता की प्रबल संभावनाएं हैं।
हम लोग थर्मल बैटरी बनाकर इंडस्ट्री को देंगे
आइआइटी थर्मल बैटरी विकसित करके इंडस्ट्री को देगी। यह बैटरी पैराबोलिक ***** कंसट्रेटर प्रकार के सोलर कुकर में इंस्टॉल की जाएगी, जिसके बाद नया सोलर कु कर तैयार होगा।
– डॉ. प्रौद्युत रंजन चक्रवर्ती, मेकेनिकल इंजीनियरिंग विभाग, आइआइटी जोधपुर