नहींं हो सकेंगे मान मनुहार व सम्मान कार्यक्रम
धींगा गवर पूजन पूर्ण होने पर गवर विदाई की रात अनूठे अलग-अलग स्वांग रची तीजणियों का धींगाणा देखने पूरा शहर उमड़ता रहा है। लेकिन कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामलो के कारण दूसरे वर्ष भी शहरवासी धींगा गवर का मेला देखने से वंचित रहेंगे। उल्लेखनीय है धींगा गवर विदाई की रात शहर में अलग अलग जगहों पर स्थापित आकर्षक गवर प्रतिमाओं के दर्शन के दौरान रास्ते में जो भी पुरुष बाधक बनता है उसे तीजणियों के बेंतों की बौछार झेलनी पड़ती है। ऐसी लोक मान्यता है कि कुंवारों को गवर पूजने वाली तीजणियों की ‘बेंतÓ प्रसादी मिलती है तो उनका विवाह जल्द हो जाता है। जोधपुर की धींगा गवर मेला समितियों की जगह-जगह मान -मनुहार व तीजणियों के सम्मान कार्यक्रम भी इस बार कोविड गाइडलाइन के कारण नहीं हो सकेंगे।
धींगा गवर पूजन पूर्ण होने पर गवर विदाई की रात अनूठे अलग-अलग स्वांग रची तीजणियों का धींगाणा देखने पूरा शहर उमड़ता रहा है। लेकिन कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामलो के कारण दूसरे वर्ष भी शहरवासी धींगा गवर का मेला देखने से वंचित रहेंगे। उल्लेखनीय है धींगा गवर विदाई की रात शहर में अलग अलग जगहों पर स्थापित आकर्षक गवर प्रतिमाओं के दर्शन के दौरान रास्ते में जो भी पुरुष बाधक बनता है उसे तीजणियों के बेंतों की बौछार झेलनी पड़ती है। ऐसी लोक मान्यता है कि कुंवारों को गवर पूजने वाली तीजणियों की ‘बेंतÓ प्रसादी मिलती है तो उनका विवाह जल्द हो जाता है। जोधपुर की धींगा गवर मेला समितियों की जगह-जगह मान -मनुहार व तीजणियों के सम्मान कार्यक्रम भी इस बार कोविड गाइडलाइन के कारण नहीं हो सकेंगे।
धींगा गवर पूजन केवल जोधपुर में सुयोग्य वर की कामना और अखंड सुहाग के लिए गणगौर का परम्परागत पूजन तो पूरे प्रदेश में होली के दूसरे दिन चैत्रकृष्ण प्रतिपदा से चैत्रशुक्ल तृतीया तक होता है लेकिन इसके तुरंत बाद महिला सशक्तिकरण से जुड़ा धींगा गवर का अनूठा पूजन केवल जोधपुर में किया जाता है।