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जोधपुर

जोड़े तलाशने के लिए बल्ब के पास आते हैं बग व मोथ, अधिक बरसात व हरियाली से पैदा हुए कई कीट

अच्छी बरसात होने से शहर में इस बार कई प्रकार के कीट पैदा हो गए हैं जो प्रकाश की तरफ आकर्षित होकर अपने जोड़े बना रहे हैं। बग, मॉथ, बीटल, लाइस सहित अन्य कई प्रजातियों के कीट शाम होते ही प्रकाश स्त्रोत यानी स्ट्रीट लाइट और घरों के अंदर जल रहे बल्ब की तरफ मंडराने लगते हैं।

जोधपुरOct 18, 2019 / 02:46 pm

Harshwardhan bhati

increase in bugs and moths after heavy rainfall in johdpur area

जोड़े तलाशने के लिए बल्ब के पास आते हैं बग व मोथ, अधिक बरसात व हरियाली से पैदा हुए कई कीट

गजेंद्रसिंह दहिया/जोधपुर. अच्छी बरसात होने से शहर में इस बार कई प्रकार के कीट पैदा हो गए हैं जो प्रकाश की तरफ आकर्षित होकर अपने जोड़े बना रहे हैं। बग, मॉथ, बीटल, लाइस सहित अन्य कई प्रजातियों के कीट शाम होते ही प्रकाश स्त्रोत यानी स्ट्रीट लाइट और घरों के अंदर जल रहे बल्ब की तरफ मंडराने लगते हैं। प्रकाश काएक विशेष तरंगदैध्र्य उन्हें अपनी ओर खींचता है और इसी खिंचाव के कई तो अपनी ऊर्जा खोकर मर जाते हैं। कई गर्मी से मरते हैं तो कई नर अपने के लिए मादा की खोज करते करते यहां पहुंचते हैं। नर बल्ब के प्रकाश में मादा को तलाश कर उसके साथ जोड़ा बनाता है और फिर अण्डे देता है।
दिन में घास व पौधों में निवास
दिन के समय अधिकांश कीट घास व पौधों पर रहते हैं। चूंकि प्रकाश स्त्रोत सूर्य अधिक दूरी पर होता है और वे दो सौ मीटर से अधिक दूर उड़ नहीं सकते। ऐसे में वे पौधों पर ही बैठकर उनका रस चूसते हैं। मॉथ व बग की कई प्रजातियां दिन के समय पौधों का परागण करती हैं, लेकिन रात के समय उनके बल्ब के पास मंडराने से परागण कम हो जाता है।
जानिए कीट के बारे में

– 1.50 लाख से अधिक प्रजातियां आकर्षित होती है रोशनी से
– 200 मीटर से अधिक दूर नहीं जाते हैं अधिकांश बग व मॉथ
– 11 किलोमीटर दूर से मादा की गंध पहचान लेता है नर मॉथ
– 23 मीटर की प्रकाश स्त्रोत की परिधि में रहते हैं कीट
– 4 में से एक मॉथ की प्रजाति करती है परागण
शरीर में अपनी सूंड डालते हैं
प्रकाश की तरफ आकर्षित होने वाले कीट वैसे तो हानिकारक नहीं होते हैं। फिर भी मानव के शरीर पर आने पर वे त्वचा में सूंड घुसाते हैं जिससे हमें खुजली आनी शुरू हो जाती है। तापमान कम होने पर ये कीट मर जाएंगे। यही इनका जैविक नियंत्रण है।
डॉ. अभिषेक राजपुरोहित, प्राणाी विज्ञान विभाग, लाचू कॉलेज जोधपुर

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