भारतीय मूल के सैकड़ों लोग पौलेंड में फंसे हुए हैं। 11 मार्च को जब वहां हालात बिगडऩे लगे को कई लोग अपने देश लौट आए, लेकिन कई फंस गए। व्रेकलॉ यूनिवर्सिटी पौलेंड में पढऩे वाले हार्दिक ने बताया कि उनके कई दोस्त हैं जो राजस्थान के उदयपुर, गुजरात और देश के अलग-अलग कोने से हैं। घरों में बंद हैं, सामान मिल नहीं रहा। सब घर लौटना चाहते हैं, लेकिन सभी रास्ते बंद हैं।
भारतीय दूतावास से सम्पर्क किया तो उन्होंने मदद का आश्वासन दिया, मगर अब तक मदद नहीं पहुंची। अब वहां संंक्रमण का खतरा काफी बढ़ रहा है, इसलिए भारतीय वंश के लोगों का डर भी बढ़ रहा है। हार्दिक जोधपुर के पावटा सी रोड के रहने वाले हैं व उनके पिता रोहित कुमार शर्मा शिक्षा विभाग में कार्यरत है, वह सितम्बर 2018 से वहां है।
एक तो भाषा अलग व दूसरा अस्पताल में सहायता भी नहीं
वहां के स्थानीय बाजार व अस्पतालों में अंग्रेजी समझने वाले भी कम है। ज्यादार पोलिश भाषा बोलते हैं जो प्रवासी विद्यार्थियों के समझ से बाहर है। हार्दिक ने बताया कि कुछ दिन पहले उसके एक भारतवंशी दोस्त का एक्सीडेंट हो गया। इलाज करवाने अस्पताल गए तो वहां कहा गया कि पहले उनके देश के लोगों का इलाज करेंगे, बाद में उनका नम्बर आएगा।