इसके साथ ही कुलपति ने निर्धारित समय सीमा में चुनावी खर्च का ब्यौरा विवि में जमा नहीं करवाने वाले छात्र संसद के सभी 38 पदाधिकारियों को मौन माफी दे दी गई।
कुलपति चौहान का कहना है कि यह फैसला पूर्ण मंथन कर नियमानुसार व न्यायोचित लिया गया है। सुनील चौधरी का निर्वाचन सही है तथा मूलसिंह का नामांकन रद्द करना गलत था। मूल सिंह का नामांकन वैध रहेगा।
कुलपति के फैसले पर 9 वोट से हारे एबीवीपी प्रत्याशी मूल सिंह का कहना है कि मेरे साथ अन्याय हुआ है। चुनाव में पारदर्शिता नहीं थी। मैं हाईकोर्ट में याचिका दायर करने के साथ विवि पर मानहानि का मुकदमा करुंगा।
वहीं फैसले पर सुनील चौधरी ने कहा आखिरकार संघर्ष और सच्चाई की जीत हुई। डेढ़ महीने बाद इस विवाद के खत्म होने से अब विवि में छात्रहित के कार्य हो सकेंगे।
फैसले से मूल सिंह के समर्थकों में मायूसी छा गई है, वहीं सुनील चौधरी के समर्थक पटाखे चलाकर अपनी खुशी का इजहार कर रहे हैं और सुनील चौधरी को बधाई दे रहे हैं।