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जोधपुर

मुख्यमंत्री की पीड़ा: ‘जब जोधपुर के ही गरीबों तक गेहूं नहीं पहुंच रहा तो दूसरे जिलों को क्या कहूं

– खाद्य सुरक्षा योजना के गेहूं उठाव को लेकर केंद्र व राज्य सरकार के कर्मचारी आमने-सामने
-एफसीआई के गोदाम में श्रमिकों द्वारा रिश्वत मांगने का आरोप
– अगस्त महीने में 70 हजार बोरी गेहूं नहीं उठा
– कलक्टर ने एडीएम को मॉनिटरिंग के दिए निर्देश, 6 इंस्पेक्टर जांच के लिए भेजे जा रहे, समस्या जस के तस

जोधपुरAug 08, 2020 / 08:08 pm

Om Prakash Tailor

मुख्यमंत्री की पीड़ा: 'जब जोधपुर के ही गरीबों तक गेहूं नहीं पहुंच रहा तो दूसरे जिलों को क्या कहूं

मुख्यमंत्री की पीड़ा: ‘जब जोधपुर के ही गरीबों तक गेहूं नहीं पहुंच रहा तो दूसरे जिलों को क्या कहूं

गजेन्द्र सिंह दहिया. जोधपुर.

प्रदेश के 33 जिलों में से जोधपुर सहित करीब आधा दर्जन जिलों में खाद्य सुरक्षा योजना के अंतर्गत आवंटित गेहूं तय समय पर गरीबों तक नहीं पहुंच रहा है। जोधपुर में अगस्त महीने का 70 हजार क्विंटल गेहूं राशन की दुकानों तक पहुंचने से वंचित रह गया। दो अगस्त को आयोजित वीडियो कॉन्फ्रैंसिंग में जब मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को यह बात पता चली तो वे भी अवाक रह गए। बेबस मन से उन्होंने कहा कि जब मेरे ही गृहनगर में गेहूं की आपूर्ति सुचारू नहीं है तो दूसरे जिलों को किस मुंह से कहूं। मुख्यमंत्री की बात सुनकर संभागीय आयुक्त समित शर्मा और कलक्टर इंद्रजीत सिंह के भी कान खड़े हो गए। उन्होंने भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) के अधिकारियों से बात करने के बाद एडीएम एमएल नेहरा को मॉनिटरिंग करने को कहा। पिछले पांच दिनों से रसद विभाग के 6 इंस्पेक्टर बारी-बारी से एफसीआई के गोदामों में जाकर गेहूं का उठाव देख रहे हैं लेकिन समस्या तय की तस बनी हुई है।

एफसीआई के 3 में से 1 डिपो में समस्या
एफसीआई के जोधपुर जिले में भगत की कोठी, बासनी व फलोदी में स्टोरेज डिपो है। हर महीने बासनी व फलोदी डिपो से गेहूं का आसानी से उठाव हो जाता है लेकिन भगत की कोठी डिपो से प्रतिदिन तनातनी की खबरें आती है।

भगत की कोठी गोदाम के श्रमिक रिश्वत मांगते हैं

राजस्थान राज्य खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति निगम के जोधपुर मैनेजर राजेश पंवार ने बताया कि भगत की कोठी के श्रमिक ट्रक ड्राइवर्स से रिश्वत (डाला) मांगते हैं। डाला बंद होने के कारण वे आधी ट्रकों में ही गेहूं भरते हैं। 5 अगस्त को 60 में से 32 गाड़ी खाली आई। 7 अगस्त को 56 में से 52 गाड़ी ही भरी। 600 बोरी क्षमता वाले ट्रेलर में केवल 500 बोरी डाल रहे हैं जिससे समय पर गेहूं वितरित नहीं हो पाता। सीएम तक बात पहुंचने के बाद 5-6 इंस्पेक्टर्स की ड्यूटी लगाई है लेकिन उनकी रिपोर्ट के बाद भी व्यवस्था नहीं सुधरी।

एक ट्रक ड्राईवर से 400 से 500 रुपया
सूत्रों के मुताबिक भगत की कोठी स्थित एफसीआई के डिपो से ट्रक ड्राईवर्स को प्रत्येक बोरी के ट्रक में लदान के डेढ़ रुपए तक देना पड़ता था। इस प्रकार एक ट्रक से 400 से 500 रुपए की कमाई श्रमिकों को होती थी। श्रमिकों की भाषा में इसे ‘डालाÓ कहते हैं। मामला उछलने पर ‘डालाÓ बंद कर दिया गया लेकिन श्रमिक अब मनमर्जी से काम करके ‘डालाÓ के लिए दबाव डाल रहे हैं।

ट्रांसपोर्ट के पास ट्रक नहीं

उधर एफसीआई के डिस्ट्रिक मैनेजर शैलेंद्र सिंह ने बताया कि ट्रांसपोर्ट के पास केवल 30 ट्रक है और श्रमिकों के काम का समय भी निर्धारित है। इसी कारण गेहूं उठाव में देरी होती है। तीन डिपो में से केवल एक डिपो में ही यह समस्या क्यों है, इसका वे संतोषप्रद जवाब नहीं दे पाए।

केंद्र व राज्य दोनों दे रहे हैं गेहूं

राशन की दुकान में खाद्य सुरक्षा योजना के लाभार्थियों को प्रत्येक व्यक्ति प्रति महीना 5 किलो गेहूं 2 रुपए प्रति किलो के अनुसार मिलता है। लॉकडाउन के समय केंद्र सरकार ने भी प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना शुरू करके राज्य के समानांतर फ्री गेहूं देना शुरू कर दिया। अब प्रत्येक व्यक्ति को 10 किलो गेहूं मिल रहा है। हर महीने केंद्र सरकार को 1.06 लाख क्विंटल और राज्य सरकार का 1.06 लाख क्विंटल गेहंू एफसीआई के गोदामों से उठाव करके जिले की करीब 1200 राशन की दुकानों तक पहुंचाया जाता है।

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