अंतरिक्ष में मानव मिशन के सामने पांच बड़ी चुनौतियों में सबसे बड़ी चुनौती मिशन को रेडिएशन से सुरक्षित रखना है। अंतरिक्ष रेडिएशन मुख्यत: तीन प्रकार के हैं। पहला पृथ्वी के चुम्बकीय क्षेत्र में बंधे कण, दूसरा सौर फ्लेयर और तीसरी गैलेक्टिक कॉस्मिक किरणें होती हैं। कॉस्मिक किरणों का संबंध दूसरे सौलर सिस्टम से होता है यानी यह एक ही आकाशगंगा से आती है। हमारी आकाश गंगा ‘मिल्की वे’ से अंसख्य कॉस्मिक किरणें पृथ्वी के आसपास आती है। पृथ्वी का खुद का चुम्बकीय क्षेत्र अधिक होने और वायुमण्डल के कारण यह धरती तक नहीं पहुंच पाती, लेकिन अंतरिक्ष में इनका खतरा दस गुणा तक बढ़ जाता है।
कॉस्मिक किरणें परमाणुओं के ऐसे नाभिक होते हैं जो प्रकाश वेग से गति करते हैं। इनमें अत्यधिक ऊर्जा के कारण ये शरीर और यहां तक कि धातुओं को आयनित कर देते हैं। इससे क्षरण होने लगता है। कॉस्मिक किरणों के कारण मनुष्य में कैंसर, ब्रेन मोटर प्रोब्लम, तंत्रिका तंत्र का खराब होना और मानवीय व्यवहार में बदलाव आने का खतरा रहता है। मनुष्य अंतरिक्ष में 50 से 2000 मिली सिवर्ट रेडिएशन में रहता है। एक मिली सिवर्ट का अर्थ छाती के 3 एक्स-रे के बराबर होता है। यानी एक साल अंतरिक्ष में रहने पर मनुष्य 150 से 6000 एक्स-रे जितनी रेडिएशन ले लेता है।
हमारा मुख्य काम कॉस्मिक किरणों के खतरों से निपटना रहेगा। हम इसरो को इसकी तकनीक मुहैया कराएंगे।
डॉ. रवींद्र कुमार, निदेशक, रक्षा प्रयोगशाला जोधपुर