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अंतरिक्ष यात्रियों को कॉस्मिक किरणों से बचाएगी जोधपुर डिफेंस लैब, इसरो और डीआरडीओ ने किया एमओयू

देश के पहले मानव अंतरिक्ष मिशन ‘गगनयान’ के लिए भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) और रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) के बीच एमओयू किया गया है। इसके अंतर्गत डीआरडीओ सेना के लिए बनाई गई तकनीक को अंतरिक्ष मिशन के लिए कस्टमाइज करने के साथ कुछ नई तकनीक विकसित करेगा, जिससे देश का पहला मानव अंतरिक्ष मिशन सफल हो सके।

जोधपुरSep 24, 2019 / 11:56 am

Harshwardhan bhati

cosmic rays

कॉस्मिक किरणों

गजेंद्रसिंह दहिया/जोधपुर. देश के पहले मानव अंतरिक्ष मिशन ‘गगनयान’ के लिए भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) और रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) के बीच एमओयू किया गया है। इसके अंतर्गत डीआरडीओ सेना के लिए बनाई गई तकनीक को अंतरिक्ष मिशन के लिए कस्टमाइज करने के साथ कुछ नई तकनीक विकसित करेगा, जिससे देश का पहला मानव अंतरिक्ष मिशन सफल हो सके।
अब तक रुस, अमरीका और चीन ने ही मानव मिशन भेजे हैं। इसरो भारत की स्वतंत्रता की 75वीं वर्षगांठ से पहले दिसम्बर 2021 में गगनयान मिशन भेजने की तैयारी कर रहा है। इसरो और डीआरडीओ की सात प्रयोगशाला ने गगनयान के लिए एमओयू किया है। जिसके अंतर्गत डीआरडीओ अंतरिक्ष खाद्य पदार्थ, अंतरिक्ष यात्रियों के स्वास्थ्य की मॉनिटरिंग, इमरजेंसी सर्वाइवल किट, रेडिएशन मापन व बचाव, सुरक्षित रिकवरी के लिए पैराशूट्स जैसी तकनीक देगा।
डीआरडीओ से सम्बद्ध रक्षा प्रयोगशाला जोधपुर (डीएलजे) को अंतरिक्ष यान और यात्रियों को रेडिएशन से बचाव की जिम्मेदारी दी गई है। डीएलजे यान और यात्री दोनों के लिए ही विशेष तकनीक से शील्ड और सूट तैयार करेगी। गगनयान मिशन के लिए तीन अंतरिक्ष यात्रियों का चयन किया गया है, जिन्हें प्रशिक्षण के लिए रूस भेजा जाएगा।
तीन प्रकार की रेएिडशन हैं अंतरिक्ष में
अंतरिक्ष में मानव मिशन के सामने पांच बड़ी चुनौतियों में सबसे बड़ी चुनौती मिशन को रेडिएशन से सुरक्षित रखना है। अंतरिक्ष रेडिएशन मुख्यत: तीन प्रकार के हैं। पहला पृथ्वी के चुम्बकीय क्षेत्र में बंधे कण, दूसरा सौर फ्लेयर और तीसरी गैलेक्टिक कॉस्मिक किरणें होती हैं। कॉस्मिक किरणों का संबंध दूसरे सौलर सिस्टम से होता है यानी यह एक ही आकाशगंगा से आती है। हमारी आकाश गंगा ‘मिल्की वे’ से अंसख्य कॉस्मिक किरणें पृथ्वी के आसपास आती है। पृथ्वी का खुद का चुम्बकीय क्षेत्र अधिक होने और वायुमण्डल के कारण यह धरती तक नहीं पहुंच पाती, लेकिन अंतरिक्ष में इनका खतरा दस गुणा तक बढ़ जाता है।
कॉस्मिक किरणों से सबसे बड़ा खतरा
कॉस्मिक किरणें परमाणुओं के ऐसे नाभिक होते हैं जो प्रकाश वेग से गति करते हैं। इनमें अत्यधिक ऊर्जा के कारण ये शरीर और यहां तक कि धातुओं को आयनित कर देते हैं। इससे क्षरण होने लगता है। कॉस्मिक किरणों के कारण मनुष्य में कैंसर, ब्रेन मोटर प्रोब्लम, तंत्रिका तंत्र का खराब होना और मानवीय व्यवहार में बदलाव आने का खतरा रहता है। मनुष्य अंतरिक्ष में 50 से 2000 मिली सिवर्ट रेडिएशन में रहता है। एक मिली सिवर्ट का अर्थ छाती के 3 एक्स-रे के बराबर होता है। यानी एक साल अंतरिक्ष में रहने पर मनुष्य 150 से 6000 एक्स-रे जितनी रेडिएशन ले लेता है।
कॉस्मिक किरणों की तकनीक देंगे
हमारा मुख्य काम कॉस्मिक किरणों के खतरों से निपटना रहेगा। हम इसरो को इसकी तकनीक मुहैया कराएंगे।
डॉ. रवींद्र कुमार, निदेशक, रक्षा प्रयोगशाला जोधपुर

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