जोधपुर सहित थार के अधिकांश इलाकों की हवा में धूल कणों की वेजह से बेजां प्रदूषण हो रखा है। हवा में पीएम-२.५ (पार्टिकुलेट मैटर) की मात्रा ५० माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर से अधिक होने पर अस्थमा रोगियों को सांस लेने में दिक्कत होती है। जोधपुर में हवा में अन्य प्रदूषकों सल्फर डाई ऑक्साइड, कार्बन मोनोऑक्साइड और नाइट्रोजन डाई ऑक्साइड का स्तर काफी कम है यानी गाडि़यों व फैक्ट्रियों की वजह से होने वाला प्रदूषण काबू में है। अप्रेल, मई, जून महीने में हवा में धूल कण बढऩे से चिकित्सक श्वास व ह्रदय रोगियों को संभलकर रहने की सलाह देते हैं।
वर्ष ——– इंडेक्स
२०१७——– ८१.९
२०१८ ——– ११३.४
२०१९ ——– १०१
(वायू प्रदूषक मात्रा माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर में है। )
पिछले पांच दिनों में जोधपुर में प्रदूषण का स्तर
दिन ——– पीएम-२.५—–पीएम १०—-सल्फरडाईऑक्साइड—नाइट्रोजन डाईऑक्साइड-एक्यूआई
२१ फरवरी — ७०.१ ——– १६१.६ ——– ९.२ ——– २५.२——– १५९
२२ फरवरी — ७९.२ ——– १५४.३ ——– १०.१ ——– २५ ——–१६३
२३ फरवरी — ७८.९ ——– १८१ ——— ८.७ ——– २५.३ ——– १६३
२४ फरवरी — ५८.५ ——– १६९.९ ——– ११.३ ——– २८.४——–१५३
२५ फरवरी — ९८.४ ——– १८१.६ ——– १५.२ ——– ३०.२——–१७३
(वायू प्रदूषक मात्रा माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर में है। पीएम कणों को छोडक़र शेष प्रदूषक अच्छे स्तर पर है।)
‘जोधपुर में वास्तव में वायु प्रदूषण का कारण बालू कण है। इसी के कारण हमारा शहर बार-बार सबसे अधिक प्रदूषित शहरों में आता है जबकि वास्तविकता यह नहीं है। ’
डॉ एसके सिंह, सिविल विभाग, एमबीएम इंजीनियरिंग कॉलेज जोधपुर