मूलत: जोधपुर के हैं राठौड़
जोधपुर जिले की लोहावट तहसील के पीलवा गांव के रहने वाले हैं। उन्होंने बताया कि पिता की भारतीय सेना में सर्विस के दौरान उनका भी ज्यादातर समय राजस्थान से बाहर ही बीता। इस दौरान होली,दिवाली या शादी समारोह के दौरान साल में एक आध बार गांव आना होता था। पढ़ाई-लिखाई भी बाहर ही हुई। ऐसे में उन्होंने राजस्थान से प्रवास का दर्द हमेशा महसूस किया है। फिलहाल राठौड़ पूना के एक अस्पताल में कंप्यूटर इंजीनियर के रूप में कार्य कर रहे हैं।
जोधपुर जिले की लोहावट तहसील के पीलवा गांव के रहने वाले हैं। उन्होंने बताया कि पिता की भारतीय सेना में सर्विस के दौरान उनका भी ज्यादातर समय राजस्थान से बाहर ही बीता। इस दौरान होली,दिवाली या शादी समारोह के दौरान साल में एक आध बार गांव आना होता था। पढ़ाई-लिखाई भी बाहर ही हुई। ऐसे में उन्होंने राजस्थान से प्रवास का दर्द हमेशा महसूस किया है। फिलहाल राठौड़ पूना के एक अस्पताल में कंप्यूटर इंजीनियर के रूप में कार्य कर रहे हैं।
एक घटना ने दी प्रवासियों की एकता की सीख
राठौड़ ने बताया कि पहले उनका सामाजिक जुड़ाव कम ही था। एक बार कोई परिचित दुघर्टना में घायल हो गए। उनको पूना लेकर आए तब प्रवासी राजस्थानियों की जरूरत महसूस हुई। जब इंटरनेट पर इसके बारे में पता किया तब प्रवासी राजस्थानियों के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं मिल सकी। इसके बाद लगा कि राजस्थान के बाहर रहने वाले प्रवासियों का एक डाटाबेस तैयार किया जाए ताकि हम सब एक दूसरे को जान सकें। इसी को ध्यान में रखते हुए इस वेबसाइट को बनाया गया है।
राठौड़ ने बताया कि पहले उनका सामाजिक जुड़ाव कम ही था। एक बार कोई परिचित दुघर्टना में घायल हो गए। उनको पूना लेकर आए तब प्रवासी राजस्थानियों की जरूरत महसूस हुई। जब इंटरनेट पर इसके बारे में पता किया तब प्रवासी राजस्थानियों के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं मिल सकी। इसके बाद लगा कि राजस्थान के बाहर रहने वाले प्रवासियों का एक डाटाबेस तैयार किया जाए ताकि हम सब एक दूसरे को जान सकें। इसी को ध्यान में रखते हुए इस वेबसाइट को बनाया गया है।
देश-विदेश से जुड़ रहे है राजस्थानी प्रवासी
राजस्थान प्रवासी की वेबसाइट पर देश व दुनिया में काम करने वाले प्रवासी राजस्थानियों की जानकारी उपलब्ध करवाई गई है। इसमें राजस्थान के हर वर्ग, उम्र और समाज के उन लोगों को शामिल किया गया है,जो देश-विदेश में प्रवासी के रूप में रह रहे हैं। राठौड़ बताते हैं कि हम सब प्रवासी किसी वर्ग विशेष से संबंधित न हो कर राजस्थानी हैं। इसमें 36 कौम के साथी हैं जो भारत के विभिन्न राज्यों सहित अरब व यूरोपीय देशों में प्रवास कर रहे हैं।
राजस्थान प्रवासी की वेबसाइट पर देश व दुनिया में काम करने वाले प्रवासी राजस्थानियों की जानकारी उपलब्ध करवाई गई है। इसमें राजस्थान के हर वर्ग, उम्र और समाज के उन लोगों को शामिल किया गया है,जो देश-विदेश में प्रवासी के रूप में रह रहे हैं। राठौड़ बताते हैं कि हम सब प्रवासी किसी वर्ग विशेष से संबंधित न हो कर राजस्थानी हैं। इसमें 36 कौम के साथी हैं जो भारत के विभिन्न राज्यों सहित अरब व यूरोपीय देशों में प्रवास कर रहे हैं।
जल्द ही लांच करेंगे मोबाइल एप
राठौड़ ने बताया कि इंटरनेट के साथ ही मोबाइल के बढ़ते इस्तेमाल को देखते हुए राजस्थान प्रवासी वेबसाइट की तर्ज पर ही मोबाइल एप बनाया जा रहा है। इस पर काम शुरू कर दिया है। मोबाइल एप में प्रवासी राजस्थानियों से जुड़ी जानकारी हिन्दी में उपलब्ध करवाई जाएगी। धीरे-धीरे सदस्यों की संख्या बढऩे के बाद प्रवासियों के लिए आर्थिक मदद, रोजगार सहित अन्य सामाजिक सरोकार के काम भी किए जाएंगे।
राठौड़ ने बताया कि इंटरनेट के साथ ही मोबाइल के बढ़ते इस्तेमाल को देखते हुए राजस्थान प्रवासी वेबसाइट की तर्ज पर ही मोबाइल एप बनाया जा रहा है। इस पर काम शुरू कर दिया है। मोबाइल एप में प्रवासी राजस्थानियों से जुड़ी जानकारी हिन्दी में उपलब्ध करवाई जाएगी। धीरे-धीरे सदस्यों की संख्या बढऩे के बाद प्रवासियों के लिए आर्थिक मदद, रोजगार सहित अन्य सामाजिक सरोकार के काम भी किए जाएंगे।
खुद ने ही डवलप की वेबसाइट
राजस्थान प्रवासी की वेबसाइट को भी खुद ज्ञानसिंह राठौड़ ने ही डिजाइन व डवलप किया है। वे खुद ही कम्प्यूटर इंजीनियर हैं, इसलिए इसका ले-आउट सहित विभिन्न तकनीकी काम उन्होंने स्वयं ही किए है। लोगों को जोडऩे के लिए सोशल मीडिया सहित जनसंचार माध्यमों का सहारा लिया। उन्होंने इसी साल के जुलाई माह में वेबसाइट को लांच किया है। केवल पांच महिनों के भीतर अब तक करीब आठ हजार प्रवासी राजस्थानी इससे जुड़ चुके हैं। एक साल के भीतर इस संख्या को करीब एक लाख तक पहुंचाने का लक्ष्य है।
राजस्थान प्रवासी की वेबसाइट को भी खुद ज्ञानसिंह राठौड़ ने ही डिजाइन व डवलप किया है। वे खुद ही कम्प्यूटर इंजीनियर हैं, इसलिए इसका ले-आउट सहित विभिन्न तकनीकी काम उन्होंने स्वयं ही किए है। लोगों को जोडऩे के लिए सोशल मीडिया सहित जनसंचार माध्यमों का सहारा लिया। उन्होंने इसी साल के जुलाई माह में वेबसाइट को लांच किया है। केवल पांच महिनों के भीतर अब तक करीब आठ हजार प्रवासी राजस्थानी इससे जुड़ चुके हैं। एक साल के भीतर इस संख्या को करीब एक लाख तक पहुंचाने का लक्ष्य है।