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जोधपुर

न्यूनतम 35 साल उम्र के अभ्यर्थियों के ही योग्य होने को उचित ठहराया

– जिला जज संवर्ग में प्रतियोगी परीक्षा से सीधी भर्ती का मामला

जोधपुरDec 07, 2021 / 07:02 pm

जय कुमार भाटी

न्यूनतम 35 साल उम्र के अभ्यर्थियों के ही योग्य होने को उचित ठहराया

न्यूनतम 35 साल उम्र के अभ्यर्थियों के ही योग्य होने को उचित ठहराया

जोधपुर। राजस्थान हाईकोर्ट ने जिला जज संवर्ग में प्रतियोगी परीक्षा से सीधी भर्ती में सात साल की वकालात का अनुभव रखने वाले न्यूनतम 35 साल उम्र के अभ्यर्थियों के ही योग्य होने को चुनौती देने वाली याचिकाएं खारिज कर दी है।
मुख्य न्यायाधीश अकील कुरैशी तथा न्यायाधीश सुदेश बंसल की खंडपीठ में कई याचिकाकर्ताओं ने उम्र सीमा संबंधी नियम की वैधता को चुनौती दी थी। सीधी भर्ती के 5 जनवरी, 2021 को जारी विज्ञापन में राजस्थान न्यायिक सेवा नियम-2010 के नियम 33 के अनुसार अभ्यर्थी की 1 जनवरी, 2022 को उम्र 35 वर्ष से कम नहीं होनी चाहिए थी और अधिकतम उम्र सीमा 45 वर्ष निर्धारित है। एससी, एसटी तथा अन्य पिछड़ा वर्ग के अभ्यर्थियों में इस आयु सीमा में पांच वर्ष की छूट अनुज्ञात की गई है। निर्धारित 35 साल की उम्र से कम के अभ्यर्थियों ने इसे विधि की समता के खिलाफ बताया। सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट प्रशासन की ओर से अधिवक्ता डा.सचिन आचार्य ने कहा कि भर्ती के लिए न्यूनतम और अधिकतम आयु निर्धारित करना एक नीतिगत मामला है। नियम हाईकोर्ट के परामर्श से राज्यपाल ने अधिसूचित किए हैं। विचार-विमर्श के बाद ही आयु मानदंड निर्धारित किए गए हैं। उन्होंने तर्क दिया कि जिला जज अत्यंत महत्वपूर्ण कार्य और कर्तव्यों का पालन करते हैं। यदि हाईकोर्ट की यह राय है कि सीधी भर्ती के लिए जिला जज के रूप में सेवा में प्रवेश करने वाला व्यक्ति एक निश्चित आयु का होना चाहिए ताकि इन महत्वपूर्ण कार्यों को करने के लिए पर्याप्त परिपक्वता रखे, ऐसे नियम को मनमाना घोषित करने का कोई कारण नहीं है। खंडपीठ ने तर्क से सहमति जताते हुए कहा कि एक जिला जज के पास व्यापक शक्तियां हैं। वह आर्थिक क्षेत्राधिकार की सीमा के बिना दीवानी मुकदमों का निपटारा करता है। उसके पास अपीलीय और पुनरीक्षण शक्तियां हैं। उसे सेशन ट्रायल का कार्य भी देखना है, जहां अपराध की सजा आजीवन कारावास या मृत्युदंड तक हो सकती है। पद पर बड़ी जिम्मेदारियां हैं और पद धारण करने वाले व्यक्ति से न्यायपालिका के कार्यों और कर्तव्यों का निर्वहन करने की अपेक्षा किया जाना उचित है। कोर्ट ने विस्तृत विवेचन के बाद याचिकाएं खारिज कर दी।

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