करवा चौथ के व्रत में छलनी का बेहद महत्व है. इस दिन पूजा की थाली में महिलाएं सभी सामानों के साथ-साथ छलनी भी रखती हैं। करवा चौथ की रात महिलाएं अपना व्रत पति को इसी छलनी में से देखकर पूरा करती हैं। शादी-शुदा महिलाएं इस छलनी में पहले दीपक रख कर चांद देखती हैं और फिर अपने पति को निहारती हैं। इसके बाद पति उन्हें पानी पिला कर व्रत पूरा करवाते हैं, लेकिन कभी सोचा है पति और चांद दोनों को छलनी से ही क्यों देखा जाता है? इसके पीछे की आखिर
वजह क्या है?
हिंदू मान्यताओं के मुताबिक चंद्रमा को भगवान ब्रह्मा का रूप माना जाता है और चांद को लंबी आयु का वरदान मिला हुआ है। चांद में सुंदरता, शीतलता, प्रेम, प्रसिद्धि और लंबी आयु जैसे गुण पाए जाते हैं। इसीलिए सभी महिलाएं चांद देख कर ये कामना करती हैं कि ये सभी गुण उनके पति में आ जाएं।
वहीं, छलनी को लेकर एक और पौराणिक कथा के मुताबिक एक साहूकार के सात लड़के और एक बेटी थे। बेटी ने अपने पति की लंबी आयु के लिए करवां चौथ का व्रत रखा था। रात को जब सभी भाई भोजन करने लगे तो उन्होंने अपनी बहन को भी खाने के लिए आंमत्रित किया, लेकिन बहन ने कहा-भाई! अभी चांद नहीं निकला है, चांद निकलने पर उसे अघ्र्य दे कर भोजन करूंगी। बहन की यह बात सुन कर भाइयों ने बहन को खाना खिलाने की योजना बनाई।