इन फसलों का व्यवसायिक उत्पादन नहीं हो पाने व हार्वेस्टिंग के यांत्रिक तरीके नहीं होने से 50 प्रतिशत ही हार्वेस्टिंग हो पाती है। ऐसे में केर, सांगरी इत्यादि को हार्वेस्ट करने के छोटे उपकरण किसानों को उपलब्ध करवाए जाए । साथ ही, इन उत्पादों को सुखाने सहित विभिन्न मूल्य संवर्धन की सुविधा उपलब्ध हो तो पश्चिमी राजस्थान के किसानों के लिए ये फसलें बड़ी मात्रा में रोजगार व आर्थिक आय का जरिया बन सकता है।
इन उत्पादों का मंडी में व्यवस्थित व्यापार नहीं होता है। ऐसे में किसान इसे स्थानीय बाजारों में अलग-अलग दामों में बेचते है। इससे ये उत्पाद स्थाई आमदनी के स्त्रोत नहीं बन पा रहे है।
तुलछाराम सिंवर, प्रांत प्रचार प्रमुख
भारतीय किसान संघ