जिन्दगी जब भी तेरी बज्म में लाती है हमें, ये जमीं चांद से बेहतर नजऱ आती है हमें..। अगर हम हिन्दी सिनेमा की एेतिहासिक फिल्म उमराव जान की बात करें तो खय्याम ने संगीत निर्देशन किया तो था तो उसमें सारंगीवादन जोधपुर के सारंगीनवाज सुल्तान खां ने किया था। शहरयार के लिखे इस फिल्म के गीत आज भी जब लोगों की जुबान पर आते हैं तो हम खय्याम और सुल्तान खां की जोड़ी को नहीं भूल सकते। यानी जोधपुर के सुल्तान खां का नाम उमराव जान और खय्याम के साथ हमेशा वाबस्ता रहेगा।
-ए के व्यास, फिल्मी गायक,जोधपुर
खय्याम ने रिलीज की थी सीडी अनुराधा आट्र्स के बैनर पर मेरी सीडी ‘मुद्दतें गुजरी हैं’ खय्याम साहब ने रिलीज की थी। उनसे उस वक्त मुलाकात हुई थी। बहुत मिलनसार, जिंदादिल और बेमिसाल इंसान थे।
-एन के मेहता, लेखक व पूर्व उप निदेशक शिक्षा विभाग, जोधपुर
-पंडित रामचंद्र गोयल,शास्त्रीय गायक, जोधपुर
-मुकुंद क्षीरसागर
फ्यूजन और रीमिक्स के इस दौर में जब संगीत में मौलिकता कम नजर आती है। एेसे में खय्याम का संगीत हमें बहुत सुकून और ताजगी देता है। उनका संगीत अमर था और अमर है।