इसलिए यहां आते है पक्षी- मंगोलिया, चीन, कजाकिस्तान आदि देशों में रहने वाले कुरजां पक्षी वहां बर्फबारी से भोजन व आवास की विकट परिस्थितियों के चलते ये पक्षी शीतकालीन प्रवास पर निकल जाते है। खीचन में पक्षियों को तालाबों पर पानी व चुग्गाघर में दाना सहजता से उपलब्ध हो जाता है तथा पक्षी खीचन पंहुचकर महफूज महसूस करते है। जिसके चलते खीचन में अब हजारों की तादाद में कुरजां आती है। यहां शीतकालीन प्रवास पर सबसे पहले पंहुचने वाला पक्षियों का समूह कुछ समय तक आकाश उड़कर जांच पड़ताल करेगा, फिर नीचे उतरकर पक्षी चुग्गा लेंगे।
6 माह का होगा शीतकालीन प्रवास- अगस्त-सितम्बर माह में खीचन आने वाले मेहमान पक्षी कुरजां ग्रीष्म ऋतु की दस्तक के साथ ही मार्च में वतन वापसी कर लेते है। इस दौरान 6 माह तक खीचन में कुरजां की मनमोहक अठखेलियां यहां आने वाले देशी-विदेशी पर्यटकों के लिए आकर्षण का केन्द्र बनी रहती है। साथ ही कुरजां में पिछले वर्ष रिगिंग कॉलर मिलने से शोधकर्ताओं के लिए चर्चाओं का विषय बना रहा था।
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