जिस लूणी का पानी बाड़मेर जिले से होते हुए कच्छ के रण को भरते हुए पाकिस्तान तक पहुंचता था। उसी नदी के उद्गम, 12 कोस लंबा और 12 कोस चौड़ाई में फैले जसवंत सागर के पेटे में गैर खातेदारों ने कुएं और नलकूप खोद डाले।
अब जो भी थोड़ा बहुत पानी इस बांध में आता है गहरे कुएं और नलकूपों के जरिए कुछ ही दिनों में भूमिगत हो जाता है और बांध खाली हो जाता है। वर्षों से बांध की इस स्थिति के कारण लूणी में पानी ही नहीं रहा और नदी के किनारे खुदे सैकड़ों कुओं का जल सूख चुका है। हजारों किसान परिवारों को खेती करना मुश्किल हो गया है। बांध के पानी से जिन 13 गांवों की राजस्व भूमि की पिलाई होती थी उन गांवों में अब मात्र सावनू खेती हो रही है और सैकड़ों परिवार पलायन कर चुके हैं।
नदियों के बालों के सूखने से रसूखदारों पर बन आई है। उन्होंने राजस्व विभाग के अधिकारियों से तथा नेताओं की सिफारिश पर नदियों की जमीनेंं, बाळोंं के बहाव क्षेत्र की किस्म तक परिवर्तन करवा दी और अपने नाम खातेदारी दर्ज करवा ली। कई लोगों ने बिंजवाडिय़ा बाळाा, गंगा बाळाा और गुहिया बाळाा के स्वरूप को ही नष्ट कर कब्जे जमा लिए हैं। इससे उनके लाखों-करोड़ों के वारे न्यारे कर रहे हैं।
अब न्यायालय से ही उम्मीद जसवंत सागर बांध के पेटे अनधिकृत नलकूप खोद, बेहिसाब जल दोहन करने को लेकर `राजस्थान पत्रिका` में प्रकाशित समाचारों को राजस्थान उच्च न्यायालय ने जनहित याचिका मानकर अपने फैसले में सभी कुओं और नलकूपों को बंद करने का आदेश दिया। काफी कुओं के बिजली कनेक्शन भी कटवाए।
-रामपाल मुंडियार, अधिशासी अधिकारी, जल संसाधन विभाग, जोधपुर