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जोधपुर

रूंध चुका है मरुगंगा लूणी का कंठ

बिलाड़ा (जोधपुर) . मारवाड़ की जीवन रेखा और हजारों परिवारों की रोजी-रोटी का आधार लूणी नदी का कंठ जल ग्रहण क्षेत्र में बिना मकसद बने एनीकट एवं बांधों के कारण रूंध चुका है। वर्षों से बांधों से सिंचाई भी नहीं हो रही है।
 
 

जोधपुरNov 25, 2020 / 11:30 am

pawan pareek

रूंध चुका है मरुगंगा लूणी का कंठ

रूंध चुका है मरुगंगा लूणी का कंठ

बिलाड़ा (जोधपुर) . मारवाड़ की जीवन रेखा और हजारों परिवारों की रोजी-रोटी का आधार लूणी नदी का कंठ जल ग्रहण क्षेत्र में बिना मकसद बने एनीकट एवं बांधों के कारण रूंध चुका है। वर्षों से बांधों से सिंचाई भी नहीं हो रही है। इसके चलते भूमाफिया नदी के तट पर नजरें गड़ाए बैठे हैं। कुछ रसूखदारों ने नदी के पेटे में खातेदारी तक प्राप्त कर ली है।
जोधपुर जिले में सबसे ज्यादा भराव क्षेत्र वाला जसवंत सागर बांध 9 नदियों के 99 बालों के पानी से भरता था और इस बांध पर चादर चलने पर जो पानी बहता वहीं से लूणी नदी का उद्गम माना जाता है। अब वही बांध वर्षों से खाली पड़ा है। बांध में पुष्कर के नाग पहाड़ तक का पानी आता था। अब स्थिति यह है कि लगातार कम बारिश से न तो छोटे बड़े एनीकट या बांधों में पानी भरता है और न ही यह पानी लूणी नदी तक पहुंचता है।
बांध की प्रवृत्ति ही नष्ट कर डाली


जिस लूणी का पानी बाड़मेर जिले से होते हुए कच्छ के रण को भरते हुए पाकिस्तान तक पहुंचता था। उसी नदी के उद्गम, 12 कोस लंबा और 12 कोस चौड़ाई में फैले जसवंत सागर के पेटे में गैर खातेदारों ने कुएं और नलकूप खोद डाले।

अब जो भी थोड़ा बहुत पानी इस बांध में आता है गहरे कुएं और नलकूपों के जरिए कुछ ही दिनों में भूमिगत हो जाता है और बांध खाली हो जाता है। वर्षों से बांध की इस स्थिति के कारण लूणी में पानी ही नहीं रहा और नदी के किनारे खुदे सैकड़ों कुओं का जल सूख चुका है। हजारों किसान परिवारों को खेती करना मुश्किल हो गया है। बांध के पानी से जिन 13 गांवों की राजस्व भूमि की पिलाई होती थी उन गांवों में अब मात्र सावनू खेती हो रही है और सैकड़ों परिवार पलायन कर चुके हैं।
रसूखदारों की पौ बारह


नदियों के बालों के सूखने से रसूखदारों पर बन आई है। उन्होंने राजस्व विभाग के अधिकारियों से तथा नेताओं की सिफारिश पर नदियों की जमीनेंं, बाळोंं के बहाव क्षेत्र की किस्म तक परिवर्तन करवा दी और अपने नाम खातेदारी दर्ज करवा ली। कई लोगों ने बिंजवाडिय़ा बाळाा, गंगा बाळाा और गुहिया बाळाा के स्वरूप को ही नष्ट कर कब्जे जमा लिए हैं। इससे उनके लाखों-करोड़ों के वारे न्यारे कर रहे हैं।

अब न्यायालय से ही उम्मीद

जसवंत सागर बांध के पेटे अनधिकृत नलकूप खोद, बेहिसाब जल दोहन करने को लेकर `राजस्थान पत्रिका` में प्रकाशित समाचारों को राजस्थान उच्च न्यायालय ने जनहित याचिका मानकर अपने फैसले में सभी कुओं और नलकूपों को बंद करने का आदेश दिया। काफी कुओं के बिजली कनेक्शन भी कटवाए।
न्यायालय ने अंतरिम आदेशों में यह भी निर्देश दे रखे हैं कि बांध के जलग्रहण क्षेत्र में बने एनीकट ध्वस्त किए जाएं। बांधों की रपटों को नीचे डाला जाए और हर हाल में जसवंत सागर बांध तक पानी पहुंचे और यह भरे ताकि लूनी नदी बहे। न्यायालय के आदेशों की पालना विभाग के अधिकारी गंभीरता से नहीं कर रहे।
यही कारण है कि इस वर्ष अच्छी बारिश के बावजूद बारिश का पानी बांध तक नहीं पहुंच पाया। एक बड़ा कारण बजरी माफिया भी रहा है जिन्होंने नदी क्षेत्र में जगह-जगह बड़े-बड़े गहरे गड्ढे कर दिए हैं।
फैसले के अनुसार ही कर रहे काम

जसवंत सागर बांध के कैचमेंट क्षेत्र में बने सभी एनीकट एवं बांध जिनके कारण बांध नहीं भर रहा है तथा लूणी का बहाव प्रभावित हो रहा है, उसके लिए न्यायालय ने जिस प्रकार आदेश दिए हैं उन्हीं की पालना की जा रही है। पाली क्षेत्र में अब तक छह एनिकटों को ध्वस्त भी किया जा चुका है। आवश्यकता पडऩे पर इसी प्रकार की कार्रवाई और भी की जाएगी।

-रामपाल मुंडियार, अधिशासी अधिकारी, जल संसाधन विभाग, जोधपुर

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