जयंती कार्यक्रम में राज्य के कैबिनेट मंत्री प्रतापसिंह खाचरियावास ने अपने उद्बोधन में बताया कि अन्य समाज आज भी हमारा अनुकरण करने के लिए तैयार है लेकिन आवश्यकता है हमारे युवाओं को उनके लिए काबिल बनने की। आर्थिक आधार पर आरक्षण मिल जाने के बाद अब हमारे युवाओं में कोई किंतु-परंतु नहीं रह जाना चाहिए। और पूरी मेहनत के साथ इस लोकतंत्र में हर क्षैत्र में अपना प्रतिनिधित्व बनाने के लिए प्रयत्न करना चाहिए। तभी हम समाज के लिए अधिक से अधिक उपयोगी बन पायेंगे। केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने कहा कि अन्य समाज के लिए हमारे महापुरुषों का इतिहास गौरव करने के लिए है यह हमारे लिए प्रसन्नता का विषय है लेकिन हमारे लिए हमारे महापुरुषों का जीवन केवल गौरव करने के लिए नहीं अपितु उनके दिखाये मार्ग और सिद्धांतों पर चलने के लिए है। वर्तमान के परिपेक्ष्य में समाज के युवाओं के लिए यह अनुकरणीय विचार है।
कार्यक्रम संचालक रेवंतसिंह पाटोदा ने बताया कि कैसे पूर्व के इतिहासकारों ने एक सच्चे क्षत्रिय पानरवा रियासत के वीर पुंजाजी सोलंकी को भील घोषित कर दिया गया। और आज तक हमें यही पढाया गया। जबकि पुंजाजी सोलंकी , भीलों के सेनापति थे न कि भील। क्षत्रिय युवक संघ के वरिष्ठ स्वयंसेवक महावीर सिंह सरवड़ी ने बताया कि इतिहास को जिस तरह से वर्तमान में तोड़ने का प्रयत्न किया जा रहा है, हमारे पुरुषों का योजनाबद्ध ढंग से जो हरण किया जा रहा है।
यदि यह सांस्कृतिक आक्रमण यदि यूं ही चलता रहा तो आने वाली पीढियों के लिए एक अनुकरणीय इतिहास तो दूर गौरव करने योग्य इतिहास और महापुरुष भी नही बचेंगे। वहीं उन्होंने बताया कि ऐसे सांस्कृतिक आक्रमणों से बचने के लिए हमारे विरोध करने की प्रकृति आक्रामक और असंवैधानिक न होकर शालीन और लोकत्रांतिक होनी चाहिए। कार्यक्रम में राज्य मंत्री भंवरसिंह भाटी, प्रतिपक्ष उपनेता राजेन्द्र राठौड़, पूर्व अध्य्क्ष राजस्थान बीज निगम धर्मेंद्रसिंह राठौड़, पूर्व विधानसभा उपाध्यक्ष राव राजेन्द्रसिंह शाहपुरा, पूर्व विधायक राव रणधीरसिंह भिंडर सहित समाज के प्रबुद्धजनों ने अपने विचार प्रकट किए। वर्चुअल कार्यक्रम में हजारों लोग ऑनलाइन माध्यम से शामिल हुए।