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जोधपुर लव जिहाद मामले ने पकड़ी आग, मास्टर प्लान व काला कानून मामलों की सुनवाई टली..

locationजोधपुरPublished: Nov 07, 2017 04:55:58 pm

Submitted by:

Nidhi Mishra

लंच के बाद अचानक हुई वकीलों की हडताल..

love jihad case in jodhpur

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-धर्म परिवर्तन कर मुस्लिम से निकाह करने के मामले में लडकी की ओर से पैरवी करने वाले वकील के साथ दुर्वव्यहार को लेकर वकीलों ने लंच के बाद से हडताल

जोधपुर .राजस्थान हाईकोर्ट में मंगलवार को लंच के बाद वकीलों की दोनों एसोसिएशरनों द्वारा अचानक हडताल कर दिए जाने के कारण जहां कोर्ट संख्या ४ में मास्टर प्लान को लेकर शुरू हो रही सुनवाई १४ नवंबर तक के लिए स्थगित कर दी गई। वहीं अन्य महत्वपूर्ण सुनवाई भी नहीं हो सकी। वकील संघों के के आग्रह पर लगभग सभी पीठों में सुनवाई नहीं हुई। इस बीच में सरकारी वकीलों का पक्ष लेते हुए अधिवक्ता गजेन्द्र सिंह ने मीडिया को बाईट देते हुए कहा कि हालांकि महेश बोडा के साथ हुए दुव्र्यवहार के खिलाफ हम सब वकील एकजुट है, लेकिन चूंकि उन्होंने सरकारी वकीलों को संघ के नाम पर अपशब्द बोला है, इस लिए सरकारी वकील हडताल में साथ नहीं है। उन्होंने बोडा से सरकारी वकीलों से माफी मांगने का भी कहा।
ये है मामला

राजस्थान हाईकोर्ट ने प्रतापनगर पुलिस को 25 अक्टूबर 2017 को लड़की के घर से भागकर छह माह पहले ही धर्म परिवर्तन करने व 14 अप्रेल 2017 को मुस्लिम लड़के से विवाह करने के प्रकरण की विश्वसनीयता की जांच करने और एफआईआर दर्ज करने का आदेश देते हुए मामले की रिपोर्ट को कोर्ट में पेश करने के आदेश दिए थे।
न्यायाधीश जीके व्यास व न्यायाधीश मनोज गर्ग की खंडपीठ ने पाल रोड निवासी चिराग सिंघवी की ओर से दायर बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका की सुनवाई के बाद यह आदेश दिया। याची की ओर से अधिवक्ता नीलकमल बोहरा व गोकुलेश बोहरा ने कहा कि लड़की 25 अक्टूबर तक हिंदू परिवार में रह रही थी। फिर वह छह महीने पहले धर्म परिवर्तन कर विवाह कैसे कर सकती है, यह संदिग्ध मामला है। साथ ही यह एक लव जिहाद जैसा मामला है, लेकिन इस मामले में पुलिस एफआईआर तक दर्ज नहीं कर रही है। शहर में अब तक इस तरह के सात-आठ मामले सामने आ चुके हैं। पुलिस के असहयोग के कारण एेसे मामले बढ़ते ही जा रहे हैं। याचिकाकर्ता की बहन के घर से गायब होने पर पुलिस ने रिपोर्ट दर्ज नहीं की थी। पुलिस ने कहा था, उसने छह महीने पहले धर्म परिवर्तन कर निकाह कर लिया था।
पुलिस ने पेश किया निकाहनामा
इससे पहले इस मामले में एएजी एसके व्यास के माध्यम से तलब करने पर खंडपीठ में पेश हुए प्रतापनगर पुलिस स्टेशन के सीआई अचल सिंह ने कहा कि कथित गुमशुदा लड़की ने 14 अप्रेल 2017 को धर्म परिवर्तन कर फैज मोदी नामक लड़के से शादी कर ली और पुलिस कमिश्नर के समक्ष पेश हो कर सुरक्षा देने का आवेदन किया है। इसलिए उसके भाई की एफआईआर दर्ज नहीं की जा रही है। इस पर खंडपीठ ने कहा कि क्या पुलिस ने इसकी सच्चाई जानने की कोशिश की।लड़की को भेजा नारी निकेतन राजस्थान हाईकोर्ट ने धर्म परिवर्तन कर मुस्लिम युवक से निकाह करने वाली युवती को बंदी प्रत्यक्षीकरण मामले में सात दिन के लिए नारी निकेतन भेजने का आदेश दिया। इस बीच, हाईकोर्ट ने सरकार से धर्म परिवर्तन के लिए निर्धारित कानून, अथवा नियम या कोई गाइडलाइन हो तो 7 नवंबर तक पेश करने का भी आदेश दिया था। न्यायाधीश गोपालकृष्ण व्यास व न्यायाधीश मनोज गर्ग की खंडपीठ ने यह आदेश पाल रोड (जोधपुर) निवासी चिराग सिंघवी की ओर से दायर एक बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका की सुनवाई पर दिया। राजस्थान हाईकोर्ट ने इस मामले में गंभीरता दिखाते हुए पिछली सुनवाई में सोमवार को प्रतापनगर थाना पुलिस से 25 अक्टूबर 2017 को घर से गायब हुई युवती को कोर्ट में पेश करने का आदेश दिया था। उसी के अनुसार बुधवार को पुलिस ने इस युवती पायल उर्फ आरिफा को कोर्ट के समक्ष पेश किया।
अपनी मर्जी से कोर्ट आईखंडपीठ ने युवती से पूछा कि क्या वह किसी के दबाव, धमकी या प्रलोभन में है। युवती ने कहा नहीं, वह अपनी मर्जी से कोर्ट आई है। पुलिस ने इसके साथ ही पहले दिखाया गया निकाहनामा भी पेश करते हुए कहा कि युवती ने 14 अप्रेल 2017 को ही मुस्लिम युवक से निकाह कर लिया था।
संविधान पीठ का हवालायाचिकाकर्ता के अधिवक्ताओं वरिष्ठ अधिवक्ता मगराज सिंघवी व नीलकमल बोहरा ने विरोध करते हुए कहा कि बिना किसी प्रक्रिया अथवा नियमों के कोई किसी का धर्म परिवर्तन नहीं कर सकता। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ के रेव स्टेनिस्लास बनाम मध्यप्रदेश सरकार मामले में वर्ष 1977 में जारी निर्णय की नजीर पेश की कि राज्य धर्मांतरण के नियम या कानून बना सकता है। उन्होंने यह भी कहा कि युवती के धर्मांतरण बाबत कोर्ट के समक्ष पेश किए गए सभी दस्तावेज संदिग्ध हैं और खुद में ही विरोधाभासी हैं। इससे निकाह सिद्ध नहीं हो रहा है। क्या एक शपथ पत्र के आधार पर धर्मांतरण हो सकता है?
एएजी को आदेशखंडपीठ ने इन सभी सवालों के जवाब पाने के लिए जहां धर्मांतरण के बारे में एएजी एसके व्यास को सरकार की ओर से निर्धारित कानून, नियम अथवा गाइडलाइन चार दिन में कोर्ट में पेश करने का आदेश दिया, वहीं कॉर्पस पायल सिंघवी को 7 नवंबर तक नारी निकेतन भेजने का भी आदेश दिया। खंडपीठ ने पुलिस से इस बीच जहां निकाहनामा की सच्चाई पता करने को कहा, वहीं युवती को नारी निकेतन में सभी सुविधाएं देने और दोनों पक्षों में से किसी को भी युवती से मिलने नहीं देने सहित पर्याप्त सुरक्षा देने का भी आदेश दिया। साथ ही कॉर्पस को पुन: 7 नवंबर को अदालत में पेश करने के लिए कहा।
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