जोधपुर में प्री कैंब्रियन पीरियड में समुद्र होने के कारण यहां छीतर का पत्थर मिलता है जो बूंदी कोटा से विंध्य पर्वतमाला तक जुड़ा हुआ है। इससे वैज्ञानिकों को भारत का भू विज्ञान समझने में मदद मिलती है। समुद्र की गहराई करीब 100 मीटर थी, जिसमें धीरे-धीरे अवसादी करण के साथ ही कशेरुकी जीव का प्रवेश हुआ।
केम्ब्रियन काल के बाद जोधपुर से समुद्र हट गया। परमो कार्बोनिफेरस काल (300 करोड़ वर्ष पहले) में जोधपुर में जमीन हो गई और समुद्र जैसलमेर की तरफ शिफ्ट होता गया। बाप व भदूरा में इसके प्रमाण मिले हैं। 300 से 145 करोड़ वर्ष पहले पूरा मारवाड़ जमीन हो गया। इसमें खूब सारी नदियां थी और बड़े जंगल बन गए। ट्रॉपिकल इनवायरमेंट हो गया। उसके बाद से लेकर 30 करोड़ वर्ष पहले तक जैसलमेर-बाड़मेर की तरफ फिर समुद्र का वातावरण आ गया। फिर पर्यावरण बदला और मरुस्थलीकरण शुरू हो गया जो आज तक कायम है।
– प्रो सुरेश माथुर, पूर्व भूगर्भ विज्ञानी, जेएनवीयू जोधपुर