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जोधपुर

महापौर का चुनाव पार्षदों के जरिये होने से दोनों पार्टियों में फिर बदलेंगे समीकरण, दिग्गजों को फिर लेना होगा ‘यूटर्न’

राज्य सरकार ने नगरीय निकाय चुनाव के मुखिया को चुनने की प्रक्रिया फिर पार्षदों के हाथ में दे दी है। अपने ही निर्णय को पलट कर निकाय चुनाव की सरगर्मियों को हवा दे दी। इससे शहर के राजनीतिक समीकरण भी बदल जाएंगे। दोनों ही प्रमुख राजनीतिक पार्टियों के कई ऐसे दिग्गज थे जो कि पहले सीधा चुनाव होने से पार्षद बनने से मुंह मोड़ चुके थे।

जोधपुरOct 15, 2019 / 12:08 pm

Harshwardhan bhati

mayor elections in jodhpur nagar nigam

महापौर का चुनाव पार्षदों के जरिये होने से दोनों पार्टियों में फिर बदलेंगे समीकरण, दिग्गजों को फिर लेना होगा ‘यूटर्न’

अविनाश केविलया/जोधपुर. राज्य सरकार ने नगरीय निकाय चुनाव के मुखिया को चुनने की प्रक्रिया फिर पार्षदों के हाथ में दे दी है। अपने ही निर्णय को पलट कर निकाय चुनाव की सरगर्मियों को हवा दे दी। इससे शहर के राजनीतिक समीकरण भी बदल जाएंगे। दोनों ही प्रमुख राजनीतिक पार्टियों के कई ऐसे दिग्गज थे जो कि पहले सीधा चुनाव होने से पार्षद बनने से मुंह मोड़ चुके थे। लेकिन अब उन नेताओं को फिर से यूटर्न लेकर अपने लिए सुरक्षित वार्ड तलाशना होगा।
अब नजर लॉटरी पर
निकाय प्रमुख की चुनावी प्रक्रिया स्पष्ट होने के बाद अब सभी की नजरें आरक्षण लॉटरी पर टिकी हैं। नेताओं की उम्मीद और दावेदारियां आरक्षण लॉटरी के साथ ही नया रूप लेगी। पिछले दो बार से सामान्य सीट आई है। इस बार भी सभी वर्गों के नेता फील्ड में सक्रिय नजर आ रहे हैं।
दिग्गजों को तलाशना होगा वार्ड
कई ऐसे दिग्गज हैं जिनके पुराने वार्ड व उनके निवास स्थान वाले वार्ड अब आरक्षित हो चुके हैं। ऐसे दिग्गजों को अब नई जमीन तलाशनी होगी। अब तक नेता वार्ड आरक्षण लॉटरी के गणित पर ध्यान नहीं दे रहे थे, उन्हें सीधे निकाय प्रमुख का चुनाव होने की उम्मीद थी। लेकिन अब सरकार के निर्णय बदलने से कई समीकरण भी बदलेंगे।
दाधीच ही एकमात्र सीधे निर्वाचित महापौर
अब तक रामेश्वर दाधीच ही एकमात्र सीधे निर्वाचित महापौर हैं। इस बार सीधे चुनाव होने की जब घोषणा हुई थी तो दूसरे सीधे निर्वाचित महापौर की उम्मीद जगी। लेकिन इस बार सीधे निर्वाचन की श्रेणी में दाधीच का अकेले का नाम ही रह जाएगा।
जनप्रतिनिधि चाहते थे पार्षद ही चुने
राज्य सरकार अब निकाय प्रमुख चुनाव प्रक्रिया पर मंथन कर रही थी और नगरीय विकास मंत्री शांति धारीवाल की अध्यक्षता में कमेटी बनाई थी, तब ही पत्रिका ने सर्वे में स्पष्ट कर दिया था कि अधिकांश जनप्रतिनिधि पार्षद के जरिये ही महापौर चाहते हैं। पत्रिका के सर्वे में 70 प्रतिशत से अधिक पार्षदों ने महापौर चुनाव प्रक्रिया को पार्षदों के जरिये होना ही बताया था। जनता ने इस सर्वे में सीधे चुनाव के पक्ष में वोट दिया था।

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